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अशोक गौतम, भोपाल. गृह निर्माण सहकारी समितियों को अपने सदस्यों की सूची कलेक्ट्रेट, सहकारिता और अपने कार्यालय में चस्पा करना होगा। यह अपडेट सूची हर साल 31 मार्च तक प्रकाशित करना जरूरी होगा। सहकारिता विभाग ने इसकी गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत समिति को सदस्य सूची अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड करना होगा। सरकार की यह कवायद गृह निर्माण समितियों में हो रही गड़बडिय़ों और बेनामी संपत्ति खड़ी करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए है।
सूची सार्वजनिक होने के बाद सदस्यों को आपत्ति होगी तो सहकारिता कार्यालय में दे सकेंगे। इसकी सुनवाई 15 दिन के अंदर की जाएगी। प्लॉट का आवंटन वरिष्ठता और प्राथमिकता सूची के आधार पर किया जाएगा। सदस्यता सूची के साथ ही समितियों को ऑडिट रिपोर्ट भी पेश करना पड़ेगी।
- दो बार मिलेगा रुपए जमा करने का मौका
कोई सदस्य पहले से हाउसिंग समिति का सदस्य है, लेकिन वह प्लॉट की राशि जमा नहीं कर रहा है तो उसे दो बार मौका दिया जाएगा। यह सूचना सदस्य को रजिस्टर्ड डाक से हाउसिंग समितियां भेज सकेंगी। इसके बाद भी वह राशि जमा नहीं करता है तो उसकी जगह पर प्राथमिक सदस्यों को मौका दिया जाएगा। समितियां अपने पते में परिवर्तन करती हैं तो उन्हें शपथ पत्र में देना होगा। इसका इसकी सूचना सभी सदस्यों को देना पड़ेगा। इसका दो बड़े स्थानीय अखबारों में भी प्रकाशन कराना होगा।
- मनमार्जी से तय नहीं होंगे प्लॉट के रेट
गृह निर्माण समितियां अपनी मनमर्जी से प्लॉट की दरें तय नहीं कर सकेंगी। प्लॉट की कीमत भूमि विकास के बाद तय की जाएगी। प्लॉट का नगर तथा ग्राम निवेश से ले-आउट प्लान, नगर निगम सभी तरह की अनुमतियां देने के बाद संस्थान आमसभा में विकास योजना स्वीकृत कराई जाएगी। इसके बाद भूमि की वास्तविक कीमत, पंजीयन शुल्क, नामांतरण व्यय, डायवर्सन व्यय, संपत्ति कर, नगर तथा ग्राम निवेश, नगर निगम की अनुमतियों से जुड़े शुल्क और अन्य व्यय को जोड़कर प्रति वर्गमीटर कीमत तय की जाएगी। इसमें सदस्यता शुल्क को भी शामिल किया जाएगा।
- सदस्य नहीं बेच सकेंगे प्लॉट
समितियों के सदस्य तीन वर्ष के पहले अपना प्लॉट नहीं बेच सकेंगे। प्लॉट बेचने से पहले समितियों से अनुमति लेना होगा और उसे आम भी समिति को बताना होगा। सदस्य को अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के बाद कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार दो प्रतिशत राशि समिति में जमा करना होगा। अगर इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है तो विक्रय अवैध माना जाएगा। विक्रय की अनुमति रजिस्ट्रार कार्यालय से लेना पड़ेगा।
- अवैध कॉलोनियों पर होगी एफआईआर
अवैध कॉलोनियों पर प्लॉट काटने वाली गृह निर्माण समितियों पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। इसी तरह की समितियों का पंजीयन भी समाप्त किया जाएगा।
- आठ वर्ष के अंदर भवन बनाना जरूरी
प्लॉट आवंटन और अधिपत्य के बाद सदस्य को आठ वर्ष के अंदर भवन बनाना जरूरी होगा। अगर इस समय सीमा में घर नहीं बनाया जाता है तो उसे प्रत्येक पांच वर्ष के लिए प्लॉट के कलेक्टर गाइडलाइन मूल्य के अनुसार एक प्रतिशत राशि समिति में जमा करना होगा। यह राशि कॉलोनी रखरखाव निधि के रूप में होगी।

Published on:
21 Feb 2020 05:03 am
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