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ओरछा में बनेगा विश्व का पहला अंतरराष्ट्रीय रामायण कला संग्रहालय, 36 शैलियों में नजर आएंगे भगवान राम के स्वरूप

राजा राम लोक क्षेत्र के पास 7 एकड़ भूमि पर लेगा आकार

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ओरछा में अंतरराष्ट्रीय रामायण कला संग्रहालय का निर्माण संस्कृति विभाग करेगा। इसके लिए सात एकड़ जमीन चिन्हित की गई है। यह अपनी तरह का विश्व का पहला भगवान राम पर आधारित संग्रहालय होगा। यहां दक्षिण एशियाई देशों सहित 36 शैलियों में भगवान राम के विभिन्न स्वरूपों और रामायण पर आधारित दीर्घाएं होंगी। राजा राम लोक के पास इसका निर्माण किया जाएगा।

विश्व के अनेक देशों में रामायण और भगवान को लोक परंपराओं को अलग-अलग स्वरूपों में पिरोकर प्रस्तुत किया जाता है। ये शिल्प, चित्र, नृत्य, संगीत, मूर्ति, लीला, साहित्य से लेकर नाट्य स्वरूप और कला रूपों में समाहित है। अनेक कला माध्यमों में इस आख्यान की आधार भूमि से समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराओं का निर्माण हुआ।

एशिया का सांस्कृतिक वैभव को होगा संरक्षित

भगवान राम पर आधारित 'साकेत' अंतरराष्ट्रीय रामायण कला संग्रहालय में इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, बर्मा, कंबोडिया, लाओस, मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद, गुयाना तथा सूरीनाम की रामायण कला के सभी पक्षों के संग्रह, संकलन, प्रदर्शन और संदर्भ सामग्री को संरक्षित किया जाएगा। अभी तक भारत अथवा दक्षिण पूर्व एशिया के किसी देश में रामायण और रामायण काल से संबंधित परम्पराओं पर एकाग्र कोई कला संग्रहालय अथवा ऐसा कोई संदर्भ केंद्र नहीं है, जिसमें संपूर्ण रूप में रामायण की कथा और उसके स्थानिक रूपों तथा कलाओं के संग्रह को प्रदर्शित किया हो।

ये शैलियां हैं विरासत

इंडोनेशिया की बैले शैली में रामलीला, कठपुतली तथा रामकथा केंदि्रत शास्त्रीय नृत्य किए जाते हैं तो थाईलैंड में रामपष्ठ काव्य लोकप्रिय है। यहां रामकीयेन और कम्बोज रामायण रामकेर के कथानकों में बहुत साम्य है। लाओस में फालक फालाम और फोमचक के कथानकों से इनकी काफी भिन्नता है। इन तीनों बौद्ध देशों में रामकथा और उसकी कला परम्परा पर बौद्धदर्शन का प्रभाव है। इन देशों की कलाओं को यहां प्रदर्शित करने के साथ ही संरक्षण दिया जाएगा।

2005 में बना था राष्ट्रीय संग्रहालय

संस्कृति विभाग ने टीकमगढ़ जिले के ओरछा में साकेत रामायण कला संग्रहालय की स्थापना 17 अप्रेल 2005 को की थी। यहां बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश की पारंपरिक लोकचित्र शैलियों में रामकथा चित्रों, रामलीला मंचन की पारम्परिक भारतीय शैलियों में बनाए जाने वाले विभिन्न पात्रों के कलात्मक मुखौटों, मुकुटों और आंध्रप्रदेश की चर्म पुतलियों के आंशिक प्रादर्शों को संकलित कर प्रदर्शित किया गया था। यह संग्रहालय राज्य संरक्षित स्मारक में स्थापित था। आगजनी की घटना के कारण वर्ष 2011 से बन्द है।