Nepanagar News- एमपी में अपनी खोई जमीन दोबारा प्राप्त करने के लिए बेकरार कांग्रेस नित नई कवायदें कर रही है। जहां एक ओर प्रदेश सरकार की नीतियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन आदि किए जा रहे हैं वहीं पार्टी संगठन को मजबूत बनाने के लिए बैठकों का सिलसिला भी जारी है। कांग्रेस, प्रदेश के आदिवासियों में बनी अपनी पैठ बरकरार रखना चाहती है। इसके अंतर्गत नेपानगर के धुलकोट में आदिवासी अधिकार सम्मेलन आयोजित किया गया। यहां कांग्रेस के तमाम दिग्गज एकत्रित हुए और आदिवासियों के मुद्दों पर प्रदेश की बीजेपी सरकार को जमकर कोसा। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रदेश के कैबिनेट मंत्री व आदिवासियों के प्रमुख नेता विजय शाह को घेरा।
"आदिवासी अधिकार सम्मेलन" में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव , CWC मेंबर कमलेश्वर पटेल, विधायक सचिन यादव, विधायक केदार डाबर, पूर्व विधायक हमीद काजी, पूर्व विधायक रविंद्र महाजन आदि वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। कांग्रेस नेताओं ने यहां आदिवासियों के लिए महत्वपूर्ण जल, जंगल, जमीन के अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज़ उठाई। इस महत्वपूर्ण सभा में "नया पट्टा कटेगा नहीं, पुराना पट्टा हटेगा नहीं" का नारा बुलंद किया गया।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा, उनकी संस्कृति और समृद्धि के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। कांग्रेस ने आदिवासियों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक हितों के लिए आवाज उठाने और उनके विकास में सहभागी होने का भरोसा दिलाया।
कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि बीजेपी सरकार ने आदिवासियों के साथ छल किया है। बिना नोटिस दिए 8 हजार पट्टे निरस्त कर दिए। उन्होंने कहा कि जंगल केवल आदिवासियों के हैं, यहां से होनेवाली आय पर केवल उन्हीं का हक है। आदिवासी कभी जंगल नहीं काट सकते। इसी जंगल से उन्हें हर्रा, बेढ़ा, महुआ जैसे कई साधन मिलते हैं जिनसे उसकी रोजी-रोटी चलती है।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रदेश के वन मंत्री और बीजेपी के प्रमुख आदिवासी नेतााओं में शुमार कैबिनेट मंत्री विजय शाह पर तीखे हमले बोले। उन्होंने सभा में उपस्थित आदिवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि विजय शाह वन मंत्री बनकर आए, आपके पैसों पर मौज काटी मगर आपके लिए पट्टे की बात नहीं की।
वन मंत्री बनकर @KrVijayShah आए आपके पैसों पर मौज काटी मगर आपके लिए पट्टे की बात नहीं की।
हमारा आदिवासी कभी जंगल नहीं काट सकता। उसी जंगल से उसे हर्रा, बेढ़ा, महुआ जैसे कई साधन मिलते हैं जिनसे उसकी रोजी-रोटी चलती है।
Published on:
18 Jun 2025 09:04 pm