लाइफ जॉकेट भी नहीं पहना रहे
नववर्ष के पहले दिन अन्य स्पॉटों की तरह की शीतलदास की बगीया पर भी लोगों की भीड़ को देखते हुए नौका चालक नाव तो तालाब में पंजीकृत ही उतारे हुए थे, लेकिन अधिक सवारी नाव में बैठाने के लिए लाइफ जॉकेट सवारियों को पहना ही नहीं रहे थे। खासतौर पर नाव में क्षमता से अधिक सवारी ही नहीं बैठाए जा रही थी, बल्कि बच्चों को लाइफ जॉकेट नहीं दी जा रही थी। वैसे तो नगर निगम ने प्रत्येक घाट पर हादसे से बचाव को लेकर गौताखोर बैठा रखे है, लेकिन जिस तरह से असुरक्षित नौका विहार करवाई जा रही है, उसे रोकने वाले घाटों पर नजर नहीं आ रहे थे। जबकि नावों की संख्या बढ़ती भीड़ के चलते आम दिनों अधिक नजर आ रही थी। गौरतलब है कि सितंबर 2019 में खटलापुरा घाट पर हुए हादसे के बाद नावों के पंजीयन की कवायद शुरू की थी। इसके लिए फार्म देकर इनसे जुड़ी जानकारियां एकत्रित कराई गई। तब सिर्फ बड़ा और छोटा तालाब में चल रही नावों पर ही ध्यान दिया गया था। कुछ दिन पंजीयन की कवायद चली, लेकिन धीरे-धीरे ये भी बंद हो गई। इसे झील प्रकोष्ठ के संबंधित अफसरों- कर्मचारियों को करना था। दावा था कि नाव संचालक नाव से जुड़े तमाम प्रमाणपत्र देगा तभी उसे तालाब में उतरने दिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं नजर आ रहा।
पंजीयन और फिटनेस भी नहीं
इस समय स्थिति ये हैं कि दोनों तालाब में बिना पंजीयन, फिटनेस के नावे बेरोकटोक चल रही है। नाविकों को तालाबों में जाल फेंककर मछली पकडऩे की भी छूट है। स्थिति ये है कि जिम्मेदारों को इसकी जानकारी ही नहीं है। बड़े हादसे की की आशंका है।
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क्षमता से अधिक सवारी
बताया गया कि प्रत्येक लकड़ी की नाव में करीब सवारी ही बैठाई जा सकती है, जबकि अधिक कमाई के चक्कर में इससे ज्यादा बैठाई जा रही थी। यह हाल शीतलदास की बगीया में देखने को मिले है। इतना ही नहीं नाव में लोग फोटों खींचने के चक्कर में बिना लाइफ जॉकेट भी सवारी कर रहे थे। जिन्हे कोई रोकने वाले भी दिखाई नहीं दे रहे थे।
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निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं इसलिए लापरवाही
बोट क्लब पर पर्यटन विकास निगम के अलावा अन्य नावों में सवार होने वाले बिना लाइफ जैकेट के ही होते हैं। इनमें से अधिकांश नाव वालों के पास प्रर्याप्त लाइफ जैकेट ही नहीं हैं। जिनके पास हैं भी तो गंदे और फटे हुए हैं जो किसी काम के नहीं हैं। लेकिन इसे देखने और कार्रवाई करने की कोई व्यवस्था नहीं है।