
भोपाल। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा देने वाले आवेदकों के लिए जाति प्रमाण-पत्र जल्दी बनाने को लेकर सरकार को अलग से काम करना होगा। वजह ये है कि आयोग ने मध्यप्रदेश सरकार सहित सभी राज्यों को इसके लिए अलग से प्रकोष्ठ बनाकर काम करने के लिए लिखा है। इस पर प्रदेश सरकार ने सभी कलेक्टरों को परीक्षार्थियों के लिए जाति प्रमाण-पत्र बनाने की व्यवस्था को तेज करने के निर्देश दिए हैं। सभी जिलों को अब इस पर कदम उठाने होंगे।
दरअसल, यूपीएससी और एमपी-पीएससी की परीक्षाओं के लिए जाति प्रमाण-पत्र की जरूरत होती है। अभी सिविल सेवा और फॉरेस्ट सेवा के लिए परीक्षा होनी है। इसके लिए आवेदन भरा जाना है। यूपीएससी को विभिन्न जगहों से शिकायत मिली थी कि जाति प्रमाण-पत्र बनने में देरी के कारण फॉर्म भरने में दिक्कत हो रही है। बता दें कि अब भी प्रदेश स्तर पर 15 हजार से ज्यादा आवेदन पेडिंग हैं।
30 दिन की टाइम लिमिट, लग चुका है जुर्माना
बता दें कि मध्यप्रदेश में जाति प्रमाण-पत्र बनाने के लिए ऑनलाइन आवेदन से 30 दिन की अवधि का समय तय है। यह लोकसेवा गारंटी के तहत आता है। इसमें कई बार 30 दिन में प्रकरण न निपटाने पर जुर्माना हुआ है। 250 रुपए प्रति प्रकरण जुर्माना किया गया है।
केस 01:
सिविल सेवा की तैयारी कर रहे गुमान सिंह तड़वाल कहते हैं, जाति प्रमाण-पत्र बनने दिया था, लेकिन दस्तावेज अधूरे बताकर प्रकरण रद्द कर दिया।
केस 02:
घनश्याम मौर्य का कहना है कि जाति प्रमाण-पत्र बनवाने आवेदन किया, लेकिन रेकॉर्ड नहीं मिलने पर प्रकरण रद्द कर दिया गया है।
ये है 4 स्टेज की प्रक्रिया
मध्यप्रदेश में लोकसेवा गारंटी केंद्रों से ऑनलाइन आवेदन के जरिए जाति प्रमाण-पत्र बनाए जाते हैं। चार स्तर की व्यवस्था है, लेकिन यह इतना पेचीदा है कि लंबा समय लग जाता है। कई बार इस प्रक्रिया में फॉर्म भरने की अंतिम तिथि ही निकल जाती है।
Published on:
15 Feb 2023 02:30 pm
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