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हे राम ये कैसी अंतिम विदाई – कहीं टायर के साथ जलाया तो कहीं कीचड़ में लगाई आग

locationभोपालPublished: Jan 07, 2022 01:38:21 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

किसी का अंतिम संस्कार टायर के साथ किया गया, वहीं एक जगह तो हद हो गई, वहां पर कीचड़ पर पहले घास से चिता बनाई फिर टीन शेड बनाकर चिता को आग लगाई गई।

हे राम ये कैसी अंतिम विदाई - कहीं टायर के साथ जलाया तो कहीं कीचड़ में लगाई आग

हे राम ये कैसी अंतिम विदाई – कहीं टायर के साथ जलाया तो कहीं कीचड़ में लगाई आग

भोपाल. शासन-प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा जीते जी तो लोग भुगत ही रहे हैं। लेकिन एमपी के कई ऐसे गांव हैं। जहां मरने के बाद भी लोगों को प्रशासन की लापरवाही के कारण संकट झेलना पड़ रहा है। मप्र में पिछले 24 घंटों में हुई बारिश ने विकास के कई दावों की पोल खोल दी है। यहां जब कुछ लोगों की मौत हुई तो उनकी देह भी अंतिम संस्कार के लिए तरस गई, किसी का अंतिम संस्कार तय समय से 6 घंटे बाद हुआ, तो किसी का अंतिम संस्कार टायर के साथ किया गया, वहीं एक जगह तो हद हो गई, वहां पर कीचड़ पर पहले घास से चिता बनाई फिर टीन शेड बनाकर चिता को आग लगाई गई। ऐसे में ग्रामीणों को जितना दु:ख मरने वाले की याद से नहीं हुआ, उससे कई गुना दु:ख इस बात का है कि वे उनका अंतिम संस्कार भी ठीक से नहीं कर पाए।

 

हे राम ये कैसी अंतिम विदाई - कहीं टायर के साथ जलाया तो कहीं कीचड़ में लगाई आग
कीचड़ में भूसा डाल बनाई चिता, बल्ली गाढ़कर रखे टीन तब हुआ अंतिम संस्कार

अशोकनगर . अशोकनगर जिले में शहर से चार किमी दूर स्थित गांव में कीचड़ में से अर्थी निकाली और कीचड़ में भूसा डालकर चिता बनाई, बाद में बल्लियां गाढ़कर टीन लगाए, तब अंतिम संस्कार हो सका।
मामला क्षेत्र के पलकाटोरी गांव का है। जहां पर रात के समय 94 वर्षीय भोगीराम पुत्र हल्कूराम कुशवाह की मौत हो गई। गांव में मुक्तिधाम नहीं है और स्कूल के पास जो 7 बीघा जमीन आरक्षित है उस पर भी अतिक्रमण है। इससे मृतक के परिजनों व ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए पांच घंटे तक मशक्कत करना पड़ी। जमीन पर कीचड़ होने से भूसा डालकर कीचड़ को खत्म किया गया, लेकिन ऊपर कोई छाया की व्यवस्था न होने से बल्लियां लगाकर टीन रखे गए। इसके बाद अंतिम संस्कार कराया गया। यह व्यवस्थाएं जुटाने में ही ग्रामीणों को पांच घंटे लग गए।
सरपंच-सचिव पहुंचे, तो जताई नाराजगी
अंतिम संस्कार के दौरान गांव के पूर्व सरपंच व सचिव पहुंचे तो ग्रामीणों ने नाराजगी जताई और कहा कि तुम्हारा पूरा कार्यकाल निकल गया, लेकिन मुक्तिधाम नहीं बनवा सके। इससे सरपंच वहां से चला गया। गांव के सुंदरसिंह का कहना है कि उन्होंने कई बार शिकायत की, सीएम हेल्पलाइन पर की गई शिकायत को सरपंच ने दबाव देकर बंद करा दिया, लेकिन अब तक मुक्तिधाम नहीं बना है।
हे राम ये कैसी अंतिम विदाई - कहीं टायर के साथ जलाया तो कहीं कीचड़ में लगाई आग
हे राम! अंतिम संस्कार के लिए यहां मुक्तिधाम तक नहीं

गुना जिले के भदौरा क्षेत्र से एक ऐसा संवेदनशील मामला सामने आया है जिसने पंचायत सहित शासन-प्रशासन के विकास के दावों की पोल खोल दी है। जिले के भदौरा इलाके के ग्राम पिपरोदा हारु में मुक्तिधाम में टीनशेड न होने से अंतिम संस्कार के लिए ग्रामीणों को करीब 6 घंटे तक इंतजार करना पड़ा, क्योंकि बुधवार शाम को शुरू हुआ बारिश का सिलसिला दूसरे दिन गुरुवार को भी जारी रहा। काफी इंतजार के बाद जब बारिश रुकी, तब जाकर बमुश्किल अंतिम संस्कार किया गया। यहां बता दे कि गांव में मुक्तिधाम का निर्माण न होने से पिछले काफी समय से ग्रामीण खुले में ही अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं।

यह घटना जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर स्थित ग्राम पिपरोदा हारु की है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि गांव की आबादी 400 के लगभग है। गुरुवार को गांव के ही तुलसी राम केवट (60) का निधन हो गया। वह काफी समय से बीमार थे।
बुधवार रात को शुरू हुई बारिश गुरुवार को भी जारी रही। इस दौरान ओले भी गिरे हैं। गांव में कोई मुक्तिधाम नहीं है। ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए एक जगह तय की गई है, लेकिन वहां टीनशेड नहीं लगा है। ऐसे में ग्रामीणों को खुले आसमान के नीचे ही अंतिम संस्कार करना पड़ता है। ग्रामीण जब तुलसीराम केवट के शव को अंतिम संस्कार ले जाने के लिए तैयार हुए तो बारिश शुरू हो गई। इसी वजह से अंतिम संस्कार करने के लिए बारिश रुकने का ही इंतजार करना पड़ा। सुबह 10 बजे के करीब जब बारिश रुकी तब जाकर अर्थी घर से उठ सकी। गौर करने वाली बात है कि बारिश रुकने के बाद भी चिता को आग देने में काफी परेशानी आई। क्योंकि बारिश की वजह से लकडिय़ां गीली हो चुकी थीं। ऐसे में आग चेताने टायरों का इस्तेमाल करना पड़ा।
हे राम ये कैसी अंतिम विदाई - कहीं टायर के साथ जलाया तो कहीं कीचड़ में लगाई आग

श्मशान के लिए आई राशि सरपंच ने खाई, परिजनों ने चद्दर लगाकर की अंत्येष्टि


ब्यावरा. ब्यावरा जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत तालौड़ी के धुरला गांव में पक्का श्मशान नहीं होने के कारण यहां बारिश के दौरान अंत्येष्टि करना किसी चुनौती से कम नहीं है। गांव में गुरुवार को पारीबाई पति रामचरण दांगी (68) का निधन हो गया। दोपहर 12 बजे हुए निधन के बाद उन्हें श्मशान ले जाना चाहा लेकिन बारिश आ गई। श्मशान पक्का नहीं होने के कारण परिजन पहले बारिश थमने का इंतजार करते रहे। फिर ठंडे दिन की ठंडी हवाओं और बारिश के बीच परिजनों ने अस्थाई तौर पर चद्दर लगाकर छांव की तब जाकर अंत्येष्टि हो पाई। यानी अंतिम संस्कार के लिएभी शव को आखिरी क्षण में करीब तीन घंटे इंतजार करते रहना पड़ा। काफी मशक्कत के साथ अंतिम संस्कार हो सका। ग्रामीणों का कहना है कि करीब 15 साल से यही हालात यहां हैं। कोई व्यवस्था यहां जिम्मेदारों ने नहीं की।

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सरपंच सबको बनना है, काम कोई नहीं करता
अंत्येष्टि के दौरान बारिश की बूंदों के कारण ठिठुरते ग्रामीणों ने हंगामा कर दिया। उन्होंने कहा कि हमारी कोई सुनवाई नहीं करता। जिम्मेदारों को कई बार अवगत कराया लेकिन किसी के कान में जूं तक नहीं रेंगी। पक्का मुक्तिधाम नहीं होने से खुले में दाह संस्कार करना पड़ता है। 15 साल से यहां कुछ नहीं मिला, हमने कई बार शिकायत की लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। कैलाश दांगी, पप्पू दांगी, गंगाराम दांगी, गोपाल शर्मा, देवेंद्र शर्मा, जगदीश दांगी, कन्हैयालाल, रमेश, पवन, लखन सहित अन्य ने आरोप लगाया कि सरपंचों ने कई बार इसके नाम पर रुपए निकाल लिए लेकिन काम नहीं कराया। ऐसे लोगों को भगवान माफ नहीं करेगा। अब फिर से नेता बन रहे हैं, सरपंच सभी को बनना है लेकिन काम किसी को नहीं करना है।

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जांच कर कार्रवाई करेंगे
इस मामले में मैं विस्तृत जांच करवाऊंगी, संबंधित ग्राम पंचायत के उक्त गांव में कितनी राशि श्मशान की निकाली गई, सभी की जांच कराएंगे। जो भी दोषी होगा नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-प्रीति यादव, सीईओ, जिला पंचायत राजगढ़

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