
Paperless Voting : अब तक हम ऐसे प्रश्नों के जवाब देते रहे हैं कि देश में पहली बार वोटिंग कैसे की गई… बैलेट पेपर क्या है, बैलेट पेपर से वोटिंग कैसे की जाती थी, ईवीएम मशीन से पहली बार वोटिंग कब की गई? वोटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली ईवीएम मशीनें कैसे काम करती हैं, हम ईवीएम से कैसे वोटिंग कर सकते हैं? लेकिन अब चुनाव प्रक्रिया में कुछ नए सवाल जुड़ गए हैं… पेपरलेस वोटिंग क्या है? भारत में पेपरलेस वोटिंग शुरू करने वाला राज्य कौन सा है? भारत में पहली बार और कब हुई पेपरलेस वोटिंग? या फिर पेपरलेस वोटिंग की प्रक्रिया क्या है?
कल, आज और कल की कहानी में हमेशा एक बदलाव नजर आता है, क्योंकि बदलाव एक सतत प्रक्रिया है। यही प्रक्रिया भारतीय चुनाव प्रणाली में भी नजर आती है औऱ अब चर्चा में है… क्योंकि भारत में पहली बार पेपरलेस वोटिंग की गई है और देश के दिल मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य हो गया है, जिसने पेपरलेस वोटिंग की शुरुआत की।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बैरसिया विकासखंड के रतुआ रतनपुर ग्राम पंचायत में देश का पहला कागज रहित मतदान केंद्र बनाया गया। पायलट प्रोजेक्ट के तहत राज्य चुनाव निर्वाचन आयोग ने इसकी शुरुआत की है। 12 सितंबर 2024 को पंचायत उप चुनाव के लिए यह पहल की गई। चुनाव में अपनी भागीदारी दिखाते हुए 84 प्रतिशत मतदाताओं ने पेपरलेस प्रक्रिया के तहत अपना कीमती वोट दिया। आज 15 सितंबर को चुनाव परिणाम की घोषणा की गई। पहली पेपरलेस वोटिंग की इस प्रक्रिया में पूर्व सरपंच की पत्नी सविता जाटव ने 16 वोटों अपनी जीत दर्ज कराई।
राज्य निर्वाचान आयोग के सचिव अभिषेक सिंह ने बताया कि, 'अभी तक हमने इसे एक बूथ पर संचालित किया है और आने वाले दिनों में धीरे-धीरे इन बूथों की संख्या बढ़ाई जाएगी। कुछ साल में हम इसे राज्य में 100 प्रतिशत लागू करेंगे। यह एक विकसित प्रक्रिया है, हमने इसे पहली बार किया है।
बता दें कि भारत में चुनाव प्रक्रिया के तहत वोटिंग की शुरुआत बैलेट के साथ की गई थी। बैलेट पेपर्स को मत पत्र भी कहा जाता है। पहले आम चुनाव में लोकसभा के साथ कई विधानसभा के चुनावों में बैलेट पेपर से वोटिंग की गई। इस चुनाव में 60 करोड़ बैलेट पेपर छपवाने के लिए 80 टन कागजों का इस्तेमाल किया गया था। इसमें लगभग 10 लाख रुपए खर्च किए गए थे। कई दशकों तक एकछत्र राज करने वाले बैलेट पेपर का अंत तब आया जब, 1982 में पहली बार ईवीएम के जरिए वोटिंग की शुरुआत की गई।
देश में पहली बार 1982 में ईवीएम से वोटिंग की गई थी। केरल विधानसभा की पारुर सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान बैलेटिंग यूनिट और कंट्रोल यूनिट वाली ईवीएम इस्तेमाल की गई। लेकिन इस मशीन के इस्तेमाल को लेकर कोई कानून न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने उस चुनाव को खारिज कर दिया। इसके बाद, साल 1989 में संसद ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन करते हुए चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल का प्रावधान किया।
Updated on:
15 Sept 2024 04:06 pm
Published on:
15 Sept 2024 03:45 pm
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
