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जानिये! क्यों अक्षय तृतीया है स्वयं सिद्ध मुहूर्त

सिर्फ त्योहार ही नहीं है अक्षय तृतीया। सिंहस्थ महाकुंभ के दूसरे शाही स्नान के अलावा इसी तिथि से जुड़ी हैं हिंदू मान्यताओं की ऐतिहासिक घटनाएं। 

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Anwar Khan

May 09, 2016

akshay tritya

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भोपाल। अक्षय तृतीया और सिंहस्थ महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान, ये दोनों ऐसे मुहूर्त हैं जिनका संयोग कई वर्षों में बना है। अक्षय यानि जिसका क्षय न हो। इस दिन दान करके भी कभी क्षय न होने वाले पुण्य का अर्जन किया जा सकता है। वहीं क्षिप्रा के पावन जल में स्नान कर पुण्य अर्जित करने के विशेष अवसर पर उज्जैन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है।

विशेष दिन है अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया का महत्व कई कारणों से है। अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है, यानि जो काम आज के दिन किये जाते हैं उनके लिए किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है। आज का दिन ही अपने आप में सभी कार्यों को सिद्ध करने वाला माना जाता है।
अक्षय तृतीया की तिथि कई विशेष कारणों से महत्वपूर्ण मानी जाती है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार

- आज ही दिन सतयुग के बाद त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था।
- भागीरथी की कठोर तपस्या के बाद मां गंगा धरती पर आईं थीं।
- ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का अवतार अक्षय तृतीया पर ही माना जाता है।
- भगवान विष्णु के अवतार परशुराम का जन्मदिवस भी आज ही माना जाता है।
- अक्षय तृतीया की तिथि को कुबेर को ख
- अक्षय तृतीया को द्रोपदी का चीरहरण हुआ था।
- महाभारत का ऐतिहासिक युद्ध भी इसी तिथि को समाप्त हुआ था।
- द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था।
- प्रसिद्ध तीर्थ बद्रीनाथ के कपाट अक्षय तृतीया से पुन: खुलते हैं।
- वृंदावन के बांके बिहारी जी मंदिर में केवल इसी दिन विग्रह के चरण दर्शन होते हैं।

दान के लिए श्रेष्ठ समय
हिंदू मान्यताओं में अक्षय तृतीया को दान के लिए विशेष दिन माना जाता है। इस दिन किया गया दान, हवन, पूजन, और साधना कभी नष्ट नहीं होने वाला पुण्य प्रदान करता है। कालगणना में वर्ष में जो साढ़े तीन स्वयंसिद्ध मुहूर्त माने गए हैं, अक्षय तृतीया उनमें से एक है। यही वजह है कि अक्षय तृतीया पर बिना कोई पंचांग देखे मांगलिक कार्य संपन्न किये जाते हैं।

इस बार अक्षय तृतीया नहीं है विवाह मुहूर्त
अक्षय तृतीया पर अक्षय सौभाग्य की कामना से लोग विवाह बंधन में बंधते हैं, लेकिन इस साल अक्षय तृतीया पर विवाह योग्य मुहूर्त नहीं है। शुक्र तारा अस्त होने और गुरू के वक्री होने से कई वर्षों बाद अक्षय तृतीया पर विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं है।

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