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World Chess Day 2023: राजा-महाराजाओं का दिमागी खेल है शतरंज, जानिए क्यों बोला जाता है ‘चैकमेट’

World Chess Day 2023: दुनिया भर में कई प्रकार के खेल खेले जाते हैं। कुछ खेल शारीरिक तो कुछ मानसिक होते हैं। आजकल तकनीकी सहायता से भी गेम्स खेले जाते हैं। इन्हीं खेलों में से एक रोचक और मानसिक चेतना को मजबूत करने वाला खेल है, शतरंज। माना जाता है कि यह खेल लगभग पांच हजार वर्ष पुराना है।

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World Chess Day 2023

इस खेल की शुरुआत पांचवीं-छठी शताब्दी में भारत में हुई थी। तब यह पहला खेल था जो दिमाग के इस्तेमाल से खेला जाता था। किंवदंतियों के अनुसार शतरंज का आविष्कार गुप्त काल के समय में हुआ। वैसे तो महाभारत में पांडवों और कौरवों के पुत्रों के बीच चौसर का खेल खेलने का प्रसंग मिलता है, लेकिन गुप्त काल के राजाओं ने चौसर के खेल में बदलाव की चाह लिए शतरंज के खेल की शुरुआत की थी।

‘चतुरंग’ खेल के नाम से जाना जाता था शतरंज

जब इस खेल का आविष्कार हुआ था। तब इसे ‘चतुरंग’ खेल के नाम से जाना जाता था। यूरोप और रूस जैसे देशों में शतरंज का खेल 9वीं शताब्दी तक पहुंचा । इसके बाद लगातार शतरंज के खेल का प्रसार होता गया और आज लगभग सभी देशों में शतरंज के खेल को अपना लिया गया है। शतरंज के खेल को अलग-अलग देशों में कई नामों से जाना जाता है। पुर्तगाल में इसको ‘जादरेज’ का नाम दिया गया है। वहीं, स्पेन में शतरंज को ‘एजेडरेज’ कहा जाता है। वैसे शतरंज के लम्बे इतिहास में परिवर्तन भी खूब हुए हैं।

रानी सिर्फ एक आड़ा खाना चलती थी

एक समय था, जब राजा को भी मारा जा सकता था, लेकिन आज के शतरंज में यह असंभव है। क्वीन का इतिहास भी बहुत ही दिलचस्प रहा है। आज शतरंज में अगर रानी मर जाए, तो लगता है कि सबसे शक्शिाली मोहरा पिट गया, लेकिन प्राचीन समय में रानी सिर्फ एक आड़ा खाना चलती थी और इसलिए बिसात पर सबसे कमजोर मोहरा थी। लगभग पांच सौ वर्ष पहले ही इसे अपनी मौजूदा ताकत मिली। रूक और घोड़े सदियों से ऐसे ही रहे हैं। रूक फारसी के शब्द से बना है और इसे हाथी भी कहते है। बहरहाल, आज शतरंज दुनिया भर में खेला जाता है और इसके अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट लाखों लोग उत्सुकता से फॉलो करते हैं।

खेल में समय की कोई भी सीमा नहीं होती

शतरंज के खेल में काले और सफेद खानों से मिलकर एक बोर्ड बना होता है। इसमें कुल 64 खाने होते हैं। जिसमें 32 खाने सफेद रंग के और 32 खाने काले रंग के होते हैं। शतरंज के खेल को एक बार में 2 खिलाड़ी ही खेल सकते हैं। दोनों खिलाड़ियों के पास राजा, वजीर, दो हाथी, दो घोड़े, दो ऊंट और आठ सैनिक होते हैं। शतरंज के खेल के नियम के अनुसार सफेद खाने का खिलाड़ी ही खेल की शुरुआत करता है। इस खेल में समय की कोई भी सीमा नहीं होती है। इंडिया चेस फाउंडेशन द्वारा वर्तमान में शतरंज के खेल का नियंत्रण व प्रतियोगिताओं को आयोजित किया जाता है। इसकी स्थापना सन् 1951 में की गई थी। विश्व स्तर पर शतरंज के खेल का नियंत्रण इंटरनेशनल चेस फाउंडेशन करता है। इस खेल को खेलने में जो व्यक्ति मास्टर होता है। उसे ग्रैंड मास्टर की उपाधि दी जाती है।

ये भी जानिए

शतरंज के एक खेल में अधिकतम 5,949 चाले हो सकती हैं।

इंग्लैंड के एलन टयूरिंग ने वर्ष 1951 में एक कंप्यूटर बनाया जिसमे शतरंज खेल सकते थे।

विश्वनाथन आनंद वर्ष 1988 में भारत के पहले ग्रैंड मास्टर बने थे। उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

गैरी कॉस्पारोव सिर्फ 22 साल की ही उम्र में शतरंज के विश्व चैंपियन बन गए थे।

निकोलिक और आर्सोविक के बीच 1989 में 269 चाल का सबसे लम्बा खेल खेला गया था।

चैकमेट फारसी भाषा के शब्द है। इसका अर्थ होता है, ‘राजा मर गया।’

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार शतरंज खेलने से दिमाग की याद्दाश्त में सुधार होता है व जटिल प्रश्नों को सॉल्व करने की क्षमता बढ़ती है।

शतरंज का बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसी वजह से स्कूलो में इस खेल को शामिल किया जा रहा है।