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आज दुनिया को पहली वैदिक घड़ी देंगे पीएम नरेंद्र मोदी, ऐसा है कार्यक्रम

World's first Vedic clock- मुख्य आयोजन भोपाल में होगा...। मध्यप्रदेश को कई सौगातें भी देने वाले हैं...।

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भोपाल

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Manish Geete

Feb 29, 2024

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World's first Vedic clock installed in Ujjain- पीएम नरेंद्र मोदी गुरुवार 29 फरवरी को प्रदेश में 17,551 करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण-भूमिपूजन करेंगे। वे वर्चुअली 'विकसित भारत विकसित मध्यप्रदेश' कार्यक्रम के तहत इन परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे। मुख्य समारोह भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में शाम 4 बजे होगा। पीएम वर्चुअली जुड़ेंगे। सीएम डॉ. मोहन यादव भी कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसका प्रदेश में 500 जगह लाइव प्रसारण होगा। मोदी पहली डिजिटल वैदिक घड़ी का लोकार्पण करेंगे। कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल व सीएम भी रहेंगे।

देवास टेकरी पर देवीलोक का भूमिपूजन, राज्य शासन ने 10.60 करोड़ मंजूर किए हैं। इधर, पीएम ने महाराष्ट्र के यवतमाल से वर्चुअली पीएम किसान निधि की १६वीं किस्त जारी की। प्रदेश के 79.51 लाख किसानों को 1787.12 करोड़ दिए।

इनका लोकार्पण और शिलान्यास

यह भी है खास

6 बिजली सबस्टेशन पन्ना, रायसेन, छिंदवाड़ा और नर्मदापुरम जिलों में शुरू होंगे। रखेंगे। इनसे 11 जिलों भोपाल, पन्ना, रायसेन, छिंदवाड़ा, नर्मदापुरम, विदिशा, सागर, दमोह, छतरपुर, हरदा और सीहोर को लाभ होगा।

वैदिक घड़ी क्या है?

वैदिक घड़ी क्या है?

वैदिक घड़ी में समय के साथ लग्न, ग्रहण, मुहूर्त और पर्व की जानकारी हासिल की जा सकती है। मौजूदा ग्रीनविच पद्धति के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) में विभाजित किया गया है। समय को पल और घटी में बांटा गया है। वैदिक घड़ी में मौजूदा ग्रीनविच पद्धति की घंटे, मिनट, सेकंड वाली घड़ी भी रहेगी।

कितनी लागत है इसकी?

विक्रम शोध पीठ उज्जैन के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि दुनिया की पहली वैदिक घड़ी बनाने में 1 करोड़ 62 लाख की लागत आई है। उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने वाले श्रद्धालु जंतर-मंतर पर भी इस अनोखी घड़ी को देख सकते हैं। इसके अलावा एक कनेक्टेड एंड्रॉइड एप्लिकेशन भी है। ऐप के जरिए आम लोग भी इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। इस घड़ी की खासियत यह है कि इसमें सूर्योदय से सूर्यास्त तक की जानकारी के साथ विक्रम पंचांग और ग्रहों के विवरण योग, भद्रा, चंद्रमा की स्थिति, राशि, चक्र राशि, चौघड़िया, सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण शामिल हैं। इस घड़ी को स्थापित करने का उद्देश्य भारतीय कालगणना को पुनः स्थापित करना है।