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युवा बाघ जहां घूम रहा वह था उसके दादा-परदादा का इलाका

- समरधा रेंज के फॉरेस्ट में पांच वर्ष पहले टाइगर टी-1 ने की थी आमद- टाइगर टी-1 और टाइग्रेस टी-2 की चौथी पीढ़ी में है टाइगर टी-1231- लगभग तीन वर्ष की उम्र हो चुकी है इस युवा बाघ की, करने लगा शिकार- फॉरेस्ट अफसरों और अमले की नाक में दम, 24 घंटे की जा रही निगरानी

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जहां घूम रहा युवा बाघ, वहां था उसके दादा-परदादा का इलाका

जहां घूम रहा युवा बाघ, वहां था उसके दादा-परदादा का इलाका

भोपाल. भोज ओपन यूनिवर्सिटी कैम्पस में प्रवेश करने वाला टाइगर टी-1231 इस क्षेत्र में साम्राज्य कायम रखने वाले टाइगर टी-1 और टाइगर टी-2 की चौथी पीढ़ी का युवा नर बाघ है। इस बात की पुष्टि वन अधिकारी इस समय आधिकारिक तौर पर भले ही नहीं कर रहे हों, लेकिन वे इस संभावना से इनकार भी नहीं कर रहे कि यह टाइगर टी-1231 ही है।

अपने परदादा के इलाके में टेरिटरी स्थापित करने का प्रयास कर रहे इस बाघ को लेकर वन अधिकारी अत्यंत सचेत और चौकन्ने हैं। तीन वर्ष से अधिक उम्र के बाघ के मूवमेंट पर 24 घंटे निगरानी की जा रही है, जिसकी मॉनिटरिंग के लिए अधिकारी भी दिन और रात के समय जंगल में पहुंच रहे हैं।

वर्ष 2014-15 में राजधानी से सटी समरधा फॉरेस्ट रेंज के कलियासोत-केरवा इलाके में बाघों का मूवमेंट हुआ था। ये बाघ रातापानी सेंक्चुरी की तरफ से आए थे। पहले बाघ टी-1 ने भोपाल के आसपास जंगलों में टेरिटरी स्थापित की। बाद में मादा बाघिन टी-2 इस क्षेत्र में आ गई और दोनों की फस्र्ट मेटिंग में बाघिन टी-21पैदा हुई।

बाघ टी-1 से बाघिन टी-21 की मेटिंग में दो नर बाघ और दो मादा बाघ पैदा हुए, जिनमें एक टी-123 एक बाघिन शामिल थी। बाघिन टी-123 से बाघ टी-1 की मेटिंग से टी-161 और टी-162 शावक हुए थे, जिन्हें बाद में विभाग ने टी-1231 और टी-1232 की पहचान दी। टी-1231 नर बाघ है और टी-1232 बाघिन है। वैसे तो बाघ टी-1 और टी-2 की 17 संतानों ने शहर से सटे चंदनपुरा, कलियासोत, केरवा के जंगलों में भ्रमण किया।

कई वर्षों बाद इस टेरिटरी में अगस्त 2018 में पहली बार रातापानी सेंचुरी से दो युवा नर बाघ टी 3 व टी 4 आए थे, लेकिन कोई टकराव नहीं हुआ। इस समय शहर से सटे चंदनपुरा, कलियासोत, केरवा आदि समरधा रेंज के जंगल में टाइग्रेस टी-123 अपने वयस्क हो रहे शावकों टी-1231 और टी-1232 के साथ इस इलाके में है।

भोज यूनिवर्सिटी, अमरनाथ कॉलोनी, टाइगर कॉरिडोर, 13 शटर आदि इलाके में टाइगर टी-1231 ही माना जा रहा है। कुछ दिन पहले 13 शटर के पास इसने गाय का शिकार भी किया था। ह्यूमन-टाइगर कांफ्लिक्ट बचाने की आशंका से भी वन अधिकारी अधिक चिंतित हैं।

भोज यूनिवर्सिटी कैम्पस में पग माक्र्स किसी यंग टाइगर के लगते हैं, लेकिन अभी इसे कन्फर्म नहीं है कि वहां कौन सा टाइगर पहुंचा था। सावधानी के तौर पर वन विभाग की अलग-अलग टीमें दिन-रात निगरानी बनाए हुए हैं।
- रवीन्द्र सक्सेना, सीसीएफ