
Health News : युवाओं में बुढ़ापे की भूलने वाली वैस्कुलर और अल्जाइमर डिमेंशिया बीमारी तेजीसे बढ़ने लगी है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित एम्स में बीते एक महीनें में ही सामने आए मरीजों के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां 40 साल से कम उम्र के 100 से ज्यादा युवा इस समस्या से ग्रस्त होकर पहुंचे हैं। चिकित्सक इसे युवाओं के लिए बड़ी चिंता का विषय बता रहे हैं।
एम्स के डॉक्टरों के अनुसार, जवानी में भुलक्कड़ होना तनाव और मल्टीटास्किंग का नतीजा है। अशुद्ध भोजन, टेंशन और ज्यादा स्क्रीन टाइम दिमाग की नसों में तनाव बढ़ा रहा है। इससे कम उम्र में ब्रेन स्ट्रोक और भूलने की बीमारी बढ़ती जा रही है।
-कुछ इस तरह के लक्षण कुछ चीजें खरीदने बाजार जाते हैं, पर वहां जाकर भूल जाते हैं कि क्या लेना है।
-परीक्षा की तैयारी के लिए ख़ूब पढ़ाई की, पर पर्चे का जवाब लिखने बैठे तो आधा भूल गए।
-कभी कोई बहुत दिन बाद मिला, तो उस का नाम ही याद नहीं आता।
-एक कमरे से उठकर दूसरे कमरे में किसी काम से गए लेकिन, वहां पहुंचकर भूल गए कि किस काम के लिए आए थे।
राजधानी के बड़े संस्थान के एक अफसर 40 की उम्र में डिमेंशिया से ग्रस्त हैं। 24 घंटे काम के बारे में सोचते हैं। वे अकेले रहते हैं, इसलिए उन्हें बूढ़ों की बीमारी ने घेर लिया।
भोपाल की एक आइटी कंपनी में कार्यरत 41 वर्षीय सिंगल मदर घर-परिवार के साथ ऑफिस के कार्य में व्यस्त रहती हैं। कई बार ऑफिस के लिए निकलती हैं तो बेटे के स्कूल पहुंच जाती हैं।
एम्स के मेडिसिन चिकित्सक और जेरियाट्रिक्स एक्सपर्ट डॉ. एम. सुकुमार के अनुसार, खराब जीवनशैली से युवा तनाव में हैं। अब 35-40 की उम्र में ही वे बुढ़ापे की बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। मस्तिष्क को आराम नहीं मिलने से दिमाग की नस में एमॉइलाइड प्रोटीन इकठ्ठा होता है। यह मेमोरी लॉस का कारण बनता है।
Updated on:
30 Aug 2024 04:41 pm
Published on:
30 Aug 2024 03:57 pm
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