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यह है जगन्नाथ महाप्रभु का ऐसा मंदिर,जहां न प्रतिमा है न ही निकलती है रथयात्रा

बहुत ही कम लोगों को यह पता होगा कि कभी जगन्नाथ मंदिर के देवी-देवताओं को किसी अन्य मंदिर में जाकर शरण लेनी पड़ी थी...

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jagarnath tample Ganjam

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महेश शर्मा की रिपोर्ट...

(भुवनेश्वर/गंजम): अध्यात्म की धरती भारत में वैसे तो हर नाके पर मंदिर है जो कि यह दिखाता है कि लोगों का धर्म के प्रति कितना जुडाव है और लोग इश्वर के प्रति कितना समर्पित है। पर देश में ऐसे भी कई मंदिर है जिन्हें विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त है। ओडिशा का पुरी जगन्नाथ मंदिर भी उन्हीं मंदिरों में से एक है। पर बहुत ही कम लोगों को यह पता होगा कि कभी जगन्नाथ मंदिर के देवी देवताओं को किसी अन्य मंदिर में जाकर शरण लेनी पड़ी थी। और जिस मंदिर ने उन्हें शरण दी थी आज वह बिना मूर्तियों के ज्यों का त्यों खड़ा है। कभी जगन्नाथ जी जहां विराजमान रहे उस मंदिर में कभी रथ यात्रा भी नहीं निकलती जबकि जगन्नाथ महाप्रभु की रथयात्रा पूरे देश में सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा हैं।

बहुत कम लोग जानते होंगे कि ओडिशा में ऐसा भी श्रीजगन्नाथ मंदिर है जो पूरा खाली है। न कोई प्रतिमा है और न ही कभी रथयात्रा निकाली गई। आज भी वहां सन्नाटा पसरा है। गंजाम जिले के मरदा क्षेत्र में यह मंदिर है। पूजा होने का तो कोई सवाल ही नहीं। बताते हैं कि 1733-1735 में जब कलिंग शैली के मंदिरों को मुस्लिम हमलावर निशाना बना रहे थे तब यह मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर के देवी, देवताओं की मूर्तियों को छिपाने का स्थान हुआ करता था। बाद में युद्ध विराम होने के बाद मूर्तियां वापस पुरी ले जाई गई।

यह मंदिर शरण श्रीक्षेत्र के रूप में चर्चित है क्योंकि यहां पर देवी देवताओं ने शरण ली थी। इतने वर्षों से यहां प्रभु की मूर्ति न होने के कारण और कभी भी पूजा न होने के कारण यहां पर रथयात्रा उत्सव कभी आयोजित हुआ ही नहीं। पर मूर्ति नहीं होने पर भी इस मंदिर को जगन्नाथ मंदिर के रूप में ही जाना जाता रहा है। बताते हैं कि करीब दस साल पहले यह मंदिर शोधकर्ताओं के कारण चर्चा में आया। कोई तीन सौ साल पहले बने इस मंदिर को लोग देखने यदाकदा जाते रहते हैं।