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अमेरिका तक लहराया धनुकापाड़ा पंचायत का परचम,सरपंच आरती देवी के इन नए प्रयोगों से मिली खास पहचान

धानुकापाड़ा की सरपंच आरती देवी की पत्रिका के साथ हुई बातचीत के कुछ अंश...

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सरपंच आरती देवी

सरपंच आरती देवी

(पत्रिका ब्यूरो,भुवनेश्वर): ओडिशा की आरती देवी ने गंजाम जिले की धानुकापाड़ा की सरपंच रहते हुए कुछ ऐसी नजीरे पेश की वो चर्चा में आ गयीं। उन्होंने त्रिस्तरीय व्यवस्था में पंचायतों की मजबूती के प्रावधानों का लाभ लेकर दिखा दिया कि उनकी ग्राम पंचायत में शिक्षा, स्वास्थ, पर्यावरण, स्वच्छता, खेतीबारी में कोई दिक्कत गांव वालों को न मिले। हालांकि वह दोबारा सरपंच का चुनाव नहीं लड़ीं पर नियमित ग्राम पंचायत जाती हैं लोगों की समस्याएं हल करती हैं।


बैंक की अफसरी छोड़कर सरपंच बनी आरती कहती हैं कि युवा पीढ़ी को बढ़ाना है तो मौका देना होगा। जिसे सपोर्ट किया वो सरपंच। उनकी मीटिंगों में डेढ़ दो हजार की भीड़ दौड़ी चली आती है। फरवरी 2014 में अमेरिका में उन्होंने इंटरनेशनल विजिटर्स लीडरशिप प्रोग्राम में भारत का प्रतिनिधित्व किया जहां पर धानुकापाड़ा पंचायत का उदाहरण देते हुए अपनी बात रखी। ओडिशावासी इसे अपने लिए गौरव की बात मानते हैं। उनसे बातचीत के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं।


:- बैंक की अफसरी छोड़ने की वजह

शुरुआती पढ़ाई लिखाई गांव की ही थी। वहां की संस्कृति सभ्यता मुझमें रची-बसी हुई थी। बड़ी बात यह कि गांव के लिए कुछ करने का जज्बा मुझमें हमेशा रहा, बस तलाश एक अवसर की थी। जो मिल गया। पढ़ लिखकर बैंक में नौकरी की। लंबे समय बाद गांव जाने का मौका मिला। गांव वालों ने मेरे ही सामने प्रस्ताव रख दिया कि सरपंच का चुनाव लड़िए। गांव आपके साथ है। सोचा क्या करूंगी सरपंच बनकर। गांव वालों से हफ्ते दो हफ्ते का समय मांगा। बस, ले लिया निर्णय और शुरू हो गयी यात्रा। मैने नौकरी छोड़ दी। चुनाव लड़ी आसपास की 47 पंचायतों में मुझे सबसे ज्यादा वोट मिले।

:- महिला हैं तो दिक्कतें भी आईं होंगी

सच पूछिए तो मुझे महिलाओं और पुरुषों ने मिलकर लड़ाया। धीरे-धीरे ग्रामसभा की बैठक में डेढ़ से दो हजार महिलाएं आने लगीं। लोगों में आगे बढ़ने की ललक थी। साक्षरता पर मैं जोर देने लगी। उनके मन का भय बाहर किया।

:- अपने कार्यों से संतुष्ट हैं

पहला प्रयास तो यही सफल रहा है कि एक हजार महिलाओं को पढ़ना लिखना आ गया। उन्हीं में वार्ड मेम्बरों का चुनाव किया। हमने नारा दिया टीपा नूहें-दस्तखत यानी अंगूठा नहीं हस्ताक्षर। महिला सशक्तीकरण के लिए स्वतंत्र महिला ग्रामसभा बनायी। धनुकापाड़ा पंचायत में डेढ़ लाख पेड़ लगाए जो अब बड़े हो गए हैं। गांव वालों ने बच्चे की तरह इनकी देखभाल की। हमारी पंचायत प्रकृति मित्र का पुरस्कार मिला।


:- चुनौती और सफलता वाले कार्य

ग्राम पंचायत में पक्की सड़क के लिए आंदोलन चलाया। न केवल धनुकापाड़ा पंचायत बल्कि कड़ाछईं, पांकलबाड़ी और केम्तुबाड़ी पंचायत के लोग साथ जुड़े। पीएमआरवाई में 7.42 करोड़ रुपया स्वीकृत करा लिया। चमाचम सड़कें बन गयीं। हमारे गांव का 10वीं तक का स्कूल एक टीचर के भरोसे था। बंद होने वाला था। मैंने पंचायती फंड से ढाई-ढाई हजार में गांव के पढ़े लिखे बेरोजगार तीन युवकों को टीचर रख लिया। इससे स्कूल चल निकला। पहले के रिजल्ट में 14 बच्चे फर्स्ट और सेकेंड डिवीजन पास हुए। इसके अलावा राज्य सरकार को ग्राम पंचायत स्तर पर स्वतंत्र महिला ग्राम सभा, कल्याण मंडप, पंचायत स्तर पर राष्ट्रीय कृत ग्रामीण बैंक या सहायक बैंक (ताकि चिटफंड कंपनियों में ग्रामीणों का पैसा न फंसे)। हर घर में शौचालय, पानी की सप्लाई का कनेक्शन और निजी जमीन पर सरकार लीज पर लेकर पेड़ लगाए और फिर किसानों को वापस कर दे। ये योजनाएं सरकार ने ओडिशा में लागू की। यह बड़ी उपलब्धि है।


:- अमेरिका में ओबामा से मिली थी

हम लोग व्हाइट हाउस गए, ओबामा जी से मिले पर सीधे कोई बातचीत नहीं हुई।


:- भ्रष्ट व्यवस्था में एप्रूवल में दिक्कत नहीं हुई

पीडीएस का पहला मामला पकड़ा। तीन चार महीने से राशन ही नहीं मिल रहा था। ज्याद मालूम नहीं था। नियम पुस्तिका पढ़ी तो समझ में आया कि क्या कर सकती हूं। फिर पेंशन गड़बड़ी, इंदिरा आवास योजना में बिचौलियों का खेल समझी। एक बात की कि योजनाएं गांव आएं तो लाभार्थी चिन्हित हों और लाभ उन तक एक व्यक्ति के माध्यम से नहीं समिति के माध्यम से पहुंचे।


:- गांव वाले खुश हैं तो दोबारा सरपंच क्यों नहीं

दोबारा सरपंच का नहीं लड़ूंगी। युवाओं को प्रोत्साहित करूंगी। युवा आगे आएं नेतृत्व करें। ग्राम पंचायत की सेवा जहां भी हूं, करती रहूंगी। सेवा के क्षेत्र में कदम बढ़ाना है।

:- पोलिटक्स में जाने का इरादा है

मुख्यमंत्री जी से काम को लेकर बातचीत हुई। राज्य सरकार ने हमेशा सहयोग किया। सेवा के क्षेत्र में कुछ नया करने का जज्बा होना चाहिए, प्लेटफार्म कुछ भी हो। राजनीति में जाने पर अभी तक नहीं सोचा।

:- राजनीति में आपको क्या पसंद नहीं है

जब भी कुछ अलग करने की कोशिश की जाती है तो राजनीति के लोग रोकने में लग जाते हैं। किसी को बढ़ने नहीं देना चाहते हैं। मैने स्वच्छ भारत अभियान कमें ग्राम पंचायत के सभी गांवों में घरों में 15 सौ शौचालय बनवाए हैं। इनमें से महिला शौचालय हैं। महिलाओं के स्नानघर भी बनवाएं।