scriptसंबलपुर में हाईकोर्ट की बेंच की स्थापना के आंदोलन में विधि छात्र भी कूदे,30 तक वकील नहीं करेंगे काम | lawyers will not work till 30 november in odisha | Patrika News

संबलपुर में हाईकोर्ट की बेंच की स्थापना के आंदोलन में विधि छात्र भी कूदे,30 तक वकील नहीं करेंगे काम

locationभुवनेश्वरPublished: Nov 20, 2018 01:49:37 pm

Submitted by:

Prateek

काम बंद की हड़ताल यूं तो 5 सितंबर से चल रही है पर अब आंदोलन और भी तेज हो गया है…

lawyers protest

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(पत्रिका ब्यूरो,भुवनेश्वर): पश्चिम ओडिशा के संबलपुर जिले में हाईकोर्ट की खडपीठ स्थापित करने की मांग को लेकर संबलपुर बार एसोसिएशन ने आंदोलन और भी तेज कर दिया है। कानून के छात्र भी इस आंदोलन में कूद पड़े हैं। बाइक रैली निकालने के साथ ये लोग धरना प्रदर्शन भी कर रहे हैं। 19 नवंबर से वकीलों ने कामकाज बंद कर दिया है और 30 यथावत रखने का निर्णय लिया है।

 

काम बंद की हड़ताल यूं तो 5 सितंबर से चल रही है पर अब आंदोलन और भी तेज हो गया है। इसी मांग को लेकर आगामी 29 नवंबर से दो दिन तक पश्चिम ओडिशा बंद का आह्वान वकीलों ने किया है। यह जानकारी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विजतेंद्र प्रधान ने दी।

 

संबलपुर में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर वकीलों के प्रतिनिधि मंडल ने 6 अगस्त को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से बात की थी। वकीलों की सेंट्रल एक्शन कमेटी की बैठक में आंदोलन पर तवज्जो न देने से नाराजगी व्यक्त की गई। दो दिवसीय बंद के आह्वान को वकीलों की सेंट्रल एक्शन कमेटी की सहमति मिल गई है। इस कमेटी में 32 बार एसोसिएशनें शामिल हैं। इनके पदाधिकारी समय-समय पर मीटिंग करते हैं।

 

संबलपुर में हाईकोर्ट की खंडपीठ स्थापित करने की मांग बीते करीब 50 साल से चल रही है। वकीलों का कहना है कि पश्चिम ओडिशा के करीब 9 जिलों के वादकारियों को तीन सौ किलोमीटर तक केस की सुनवायी के मौके पर जाना पड़ता है। सुंदरगढ़ का एक मुकदमा तो 28 साल से हाईकोर्ट में चल रहा है।


संबलपुर में बेंच की स्थापना का मामला बीते सत्र में राज्यसभा में चर्चा में आया था। बीजू जनता दल के प्रसन्न आचार्य के सवाल का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से अब तक प्रभावी पैरवी न हो पाने से विलंब हो रहा है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का आधाअधूरा पत्र केंद्र सरकार के विभाग में 2013 से पड़ा है जिसमें वांछित सूचनाएं तक नहीं हैं। इसका प्रस्ताव हाईकोर्ट की बेंच को न्यायोचित मुख्यमंत्री, चीफ जस्टिस व राज्यपाल की सिफारिश के साथ भेजने के बाद बेंच स्थापना पर विचार किया जा सकता है।

 

ज्ञातव्य हो कि 2013 में बेंच स्थापना का आंदोलन जोर पकड़ते ही सीएम नवीन पटनायक ने एक पत्र केंद्र को भेजा था जिसमें साफ लिखा था पश्चिम ओडिशा और दक्षिण ओडिशा में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित की जानी चाहिए। अधूरी चिट्ठी के कारण कोई सुनवाई नहीं हुई।

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