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900 साल पुराना मठ ढहाया तो निकला रहस्यमयी तहखाना, कहीं खजाने का रास्ता तो नहीं…

Mandir Me Khajana: एमार मठ ( Emaar Math Puri ) की खुदाई चल रही थी, तभी तहखाना ( Gupt Tahkhane ) निकला, इससे पहले 2011 में यहां से बड़ी मात्रा में ( Bada khajana ) चांदी की ईंटें ( Khajana In India ) निकली थी, बड़ा खजाना होने की संभावना के चलते यह सोचा जा रहा है ( Kaise Dhunde Khazana )...

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Mandir Me Khajana

900 साल पुराना मठ ढहाया तो निकला रहस्यमयी तहखाना, कहीं खजाने का रास्ता तो नहीं...

भुवनेश्वर,महेश शर्मा: ओडिशा सरकार के आदेश से पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर के 75 मीटर के दायरे में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई चल रही थी। गुरुवार 29 अगस्त को खुदाई के दौरान एक गुप्त तहखाना मिला। सभी इसे देखने के बाद चौंक गए। जब इसके बारे में पड़ताल की तो बड़ा खुलासा हुआ...

सुबह से ही तय स्थान में निर्माण ध्वस्त किए जा रहे थे। एमार मठ को ढहाने के दौरान एक तहखाना निकला। एमार मठ ऐसा मठ है जिसे सदियों से विभिन्न कीर्तिकार्यों के लिए जाना जाता है। यह मठ धन दान कीर्ति हर क्षेत्र में अव्वल रहा है। रहस्यमयी तहखाने की बात पता चलते ही सभी लोग कौतूहलवश आसपास के लोग वहां एकत्र हो गए। कुछ देर के लिए अभियान रोक दिया गया। इसके बारे में पड़ताल करने से पहले स्नेक हेल्पलाइन वालों को बुलाया गया, आशंका थी कि...


इस काम के लिए बना था तहखाना

तहखाना लंबे समय से बंद पड़ा था। समझा जाता है कि गुप्त तहखाना कीमती वस्तुएं रखे जाने के लिए बनाया गया था। कहा जाता है कि खजाने की रक्षा के लिए गुप्त तहखाने में सांप के भी होने की संभावना हो सकती है। इसलिए उसके अंदर से सांप निकलने की आशंका थी। हेल्पलाइन वालों ने चेक किया तो ऐसा कुछ नहीं निकला। यह तहखाना 50 फुट लंबा और 12 फुट गहरा है। अभी और जांच होनी है, ऐसे में बड़ा खुलासा होने की संभावना है कि कहीं यह तहखाना किसी खजाने तक पहुंचने का रास्ता तो नहीं!...


पहले भी मिला था खजाना

आज तो गुप्त तहखाना मिला है। इससे पहले ऐसी चीज इस जगह से मिली थी जो दिखाती है कि पुरी की जगन्नाथ संस्कृति कितनी ऐश्वर्य से परिपूर्ण है। बताते हैं कि 2011 में यहां पर 100 चांदी की ईंटे मिली थी।

900 साल पुराना था मठ

इतिहासकारों के मुताबिक श्रीसंप्रदाय (रामानुज संप्रदाय) के आदि प्रचारक तथा विशिष्ट अद्वेताचार्य श्रीरामानुज करीबन 900 साल पहले 12वीं शताब्दी के प्रथम भाग में पुरी आए थे। श्रीरामानुज 1122 से 1137 के बीच अपने पुरी आगमन के दौरान ही रामानुज मठ का कार्य शुरू किए थे। हालांकि तब से लेकर अब तक इस एमार मठ की संरचना में कई तरह के बदलाव किए गए हैं।

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