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कर्रेगुट्टा में जवानों के सामने हर कदम पर था खतरा, फिर भी नक्सलियों का बेस तबाह कर लौटे, समर्पण और धैर्य की बने मिसाल

CG Naxal News: जवानों को 45 डिग्री टेपरेचर में भी ऑपरेशन जारी रखना था। इस बीच कई दिन मौसम भी बदला और बिजली गिरने का भी खतरा था। वहीं गुफाओं की खोज में कई बार खूंखार जानवरों का भी सामना करना पड़ा।

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कर्रेगुट्टा में जवानों के सामने हर कदम पर था खतरा, फिर भी नक्सलियों का बेस तबाह कर लौटे, समर्पण और धैर्य की बने मिसाल

CG Naxal News: कर्रेगुट्टा पहाड़ पर 21 दिनों तक चला फोर्स का ब्लैक फॉरेस्ट ऑपरेशन पूरी तैयारी के साथ लांच किया गया। जवानों को पता था कि वह नक्सलियों के सबसे सेफ बेस की ओर बढ़ रहे हैं। इसी आधार पर सारी तैयारियां की गई थीं। जवानों को आईईडी के खतरे से बचने के लिए एडवांस डिटेक्टर दिए गए थे।

CG Naxal News: छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजीपी ने मीडिया को दी जानकारी

पहाड़ से जुड़े हर खतरे और चुनौती की पहले डिटेलिंग की गई। इसके बाद उसे जवानों से साझा किया गया। ऑपरेशन लांच करने से पहले कई दिनों तक कई प्रकार के अभ्यास किए गए। यह बातें बीजापुर में सीआरपीएफ के डीजीपी और छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजीपी ने मीडिया को बताई।

बताया गया कि पहाड़ पर नक्सलियों का इतना नुकसान हुआ है कि वहां पर मिले राशन और दवाइयों को नीचे लाना संभव नहीं था। पहाड़ पर ही सभी सामानों की वीडियोग्राफी कर उन्हें जला दिया गया। ऐसा पहली बार हुआ जब जवानों को नक्सलियों का सामान जलाना पड़ा। नक्सलियों ने पहाड़ पर दो साल तक सर्वाइव करने के लायक व्यस्था कर रखी थी।

आसमानी बिजली का खतरा, खूंखार जंगली जानवरों से सामना, हर कदम पर थे सांप-बिच्छू

ऑपरेशन के दौरान भीषण गर्मी पड़ रही थी। जवानों को 45 डिग्री टेपरेचर में भी ऑपरेशन जारी रखना था। इस बीच कई दिन मौसम भी बदला और बिजली गिरने का भी खतरा था। वहीं गुफाओं की खोज में कई बार खूंखार जानवरों का भी सामना करना पड़ा। जवानों को पहाड़ पर भालुओं के खतरे से सतर्क रहना पड़ा।

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हालांकि पूरे ऑपरेशन में जवानों को जानवरों ने नुकसान नहीं पहुंचाया। जवानों को इस बात की जानकारी पहले ही दे दी गई थी कि उनका सामना नक्सलियों के अलावा जानवरों से हो सकता है। ऐसे में वे इसके लिए पहले से तैयार थे। कदम-कदम पर जानलेवा कोबरा-करैत और जहरीले बिच्छुओं से सामना भी हुआ।

नक्सलियों ने ऐसी लैंड माइन्स लगा रखी थी जैसे इंटरनेशनल बॉर्डर हो

बस्तर में नक्सलियों का सबसे बड़ा हथियार आईईडी है। अब वे इसे प्लांट करने में इतने माहिर हो चुके हैं कि फोर्स को भी कहना पड़ रहा है कि नक्सलियों की माइनिंग इंटरनेशनल बॉर्डर पर की जाने वाली माइनिंग जैसी है।

बुधवार को बीजापुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच एक डॉक्यूमेंट्री भी चलाई गई जिसमें इस बात का जिक्र किया गया कि नक्सलियों के इंटरनेशल स्तर की माइनिंग की थी। जवानों के पास आईईडी तलाशने की एडवांस तकनीक थी इसलिए नुकसान कम हुआ। 450 में 15 आईईडी ही ब्लास्ट हुई बाकि को डिटेक्ट कर डियूज कर दिया गया।

प्रेस कॉन्फ्रेंस…..

CG Naxal News: प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जो डॉक्यूमेंट्री चलाई गई उसमें बताया गया कि पहाड़ पर नक्सलियों का एक गुप्त अस्पताल मिला। इसके अलावा चार हथियार बनाने की फैक्ट्री। 150 बंकर और 250 प्राकृतिक गुफाएं मिली। इसके अलावा सैकड़ों टन राशन और कई साल तक इस्तेमाल करने लायक दवाइयां मिलीं। पहाड़ नक्सलियों की मीटिंग के लिए सबसे सुरक्षित जगह थी। वहां पर ट्रेनिंग बेस भी था जिसे नष्ट कर दिया गया।