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सर्जरी के बाद बिगड़ी मरीजों की हालत! मोतियाबिंद सर्जरी में लापरवाही का शक, घटिया दवा या ड्रॉप बने इंफेक्शन की वजह?

CG News: मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराए 9 मरीजों की आंखों में इन्फेक्शन फैलने के बाद आनन-फानन में सभी को रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल रेफर किया गया है।

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सर्जरी के बाद बिगड़ी मरीजों की हालत! मोतियाबिंद सर्जरी में लापरवाही का शक, घटिया दवा या ड्रॉप बने इंफेक्शन की वजह?(photo-patrika)

सर्जरी के बाद बिगड़ी मरीजों की हालत! मोतियाबिंद सर्जरी में लापरवाही का शक, घटिया दवा या ड्रॉप बने इंफेक्शन की वजह?(photo-patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला अस्पताल में 24 अक्टूबर को मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराए 9 मरीजों की आंखों में इन्फेक्शन फैलने के बाद आनन-फानन में सभी को रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल रेफर किया गया है। ये सभी मरीज बीजापुर के उसूर ब्लॉक के रहने वाले हैं।

जांच शिविर के दौरान इनकी पहचान मोतियाबिंद से ग्रसित के रूप में की गई थी। 24 अक्टूबर को हुई सर्जरी कर मरीजों को छुट्टी दे दी गई थी। लेकिन कुछ दिनों बाद जब अस्पताल की टीम ने फॉलोअप जांच की तो कई मरीजों की आंखों में संक्रमण और जलन की शिकायत मिली। जिसके बाद नौ मरीजों को रायपुर रेफर कर दिया गया।

CG News: डॉक्टरों की प्राथमिकता सूजन कम करना

आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार पहली प्राथमिकता आंखों का इंफेक्शन कम करना है। बुधवार की सुबह 5 बजे मरीज अस्पताल पहुंचे। सबसे पहले मरीजों को एंटीबायोटिक दवाएं दी गईं। दो मरीजों की आंख में एंटीबायोटिक इंजेक्शन भी लगाया गया है। 4 से 5 मरीजों का ऑपरेशन भी किया गया है। वहीं 5 मरीजों की रेटिना यानी विक्ट्रेक्टॉमी सर्जरी करनी पड़ेगी। सूजन के कारण रोशनी कम हो जाती है इसलिए डॉक्टर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बता पा रहे हैं।

तीन सदस्यीय जांच कमेटी

स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की है। टीम में अंधत्व नियंत्रण की नोडल अफसर डॉ. निधि अत्रिवाल, जेडी स्वास्थ्य जगदलपुर डॉ. महेश सांडिया व जिला अस्पताल जगदलपुर की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता थॉमस शामिल हैं। टीम को तीन दिनों में रिपोर्ट हैल्थ डायरेक्टर कार्यालय को देने को कहा गया है।

बीजापुर जिला अस्पताल सिविल सर्जन डॉ. रत्ना ठाकुर ने कहा की आंखों में इंफेक्शन वाले 9 मरीजों को बुधवार की सुबह आंबेडकर अस्पताल में भर्ती किया गया है। मरीजों में 8 महिला व एक पुरुष है। सभी की आंखों में गंभीर सूजन है। इसलिए सर्जरी वाली आंखों में कितनी रोशनी है, डॉक्टर भी इसका अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। आशंका है कि इनमें कुछ मरीजों की रोशनी जा सकती है। 20 दिनों पहले ऑपरेशन होने के बाद आंखों में इंफेक्शन फैलना गंभीर लापरवाही का नतीजा हो सकता है।

मोतियाबिंद सर्जरी में लापरवाही का शक

ये लापरवाही मरीजों की ओर से की गई या जिला अस्पताल की स्टाफ ने, यह जांच का विषय हो सकता है। सभी 9 मरीजों की आंखों में अच्छी खासी सूजन है इसलिए कितनी रोशनी है, यह कहना मुश्किल है। मरीजों को एंटीबायोटिक दवाएं व इंजेक्शन दिया जा रहा है। 4 मरीजों की सर्जरी भी की गई है। 5 की रेटिना सर्जरी की भी जरूरी पड़ेगी।

ग्रामीण परिवेश में हाइजीन मेंटेन न होने से ऑपरेशन के बाद आंखों में संक्रमण के चांसेज बढ़ जाते हैं। मरीज का फॉलोअप लेना जरूरी है। इन मरीजों की जांच में इन्फेक्शन नजर आया था, बेहतर जांच के लिए रायपुर रेफर किया गया है। रायपुर के उसूर ब्लॉक के मरीजों की आंखों में इंफेक्शन के लिए कहीं घटिया दवाइयां, इंजेक्शन या आई ड्रॉप तो जिम्मेदार नहीं है।

हाईकोर्ट ने नियुक्ति रोक पर दी राहत

दवाइयां सीजीएमएससी से सप्लाई होने की खबर है। दरअसल मोतियाबिंद ऑपरेशन में मुख्यत: एंजियोबायोटिक इंजेक्शन, आई ड्रॉप व दर्द निवारक टैबलेट का इस्तेमाल किया जाता है। इसके घटिया होने पर आंखों में इंफेक्शन हो सकता है। यही नहीं ओटी में ऑपरेशन के दौरान उपयोग किए गए उपकरणों में बैक्टीरिया तो नहीं था, इसकी पुष्टि भी जांच के बाद हो सकेगी।

प्रदेश में पहले भी बालोद, बागबाहरा, राजनांदगांव, कवर्धा व दंतेवाड़ा में मोतियाबिंद कांड हो चुका है। यही नहीं एम्स में भी 8 साल पहले मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों में इंफेक्शन हो गया था। आनन-फानन में विधानसभा रोड स्थित एक निजी अस्पताल में मरीजों को रेफर किया गया था। मरीजों का खर्च एम्स ने वहन किया था। इसमें डॉक्टर की लापरवाही सामने आई थी।