
जिले का सबसे बड़ा अस्पताल बना रेफर सेंटर (photo source- Patrika)
CG News: बस्तर की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का काम शुरू किया जा रहा है। इस बीच पत्रिका ने सोमवार को संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के सबसे बड़े जिला अस्पताल महारानी अस्पताल का जायजा लिया। यहां पर हर दिन करीब 1500 मरीज ओपीडी में अपनी जांच के लिए आते हैं। इसमें आधे से ज्यादा लोग सामान्य जांच के बाद घर भेज दिए जाते हैं लेकिन जिन्हें भर्ती करने की जरूरत होती है उन्हें मेडिकल कॉलेज डिमरापाल भेजा जाता है, या फिर उन्हेें ज्यादा गंभीर होने पर रायपुर या विशाखापट्टनम भेज दिया जाता है।
महारानी मौजूदा समय में सीमित सुविधा और बेड के अभाव में रेफरल सेंटर बनकर रह गया। जिला अस्पताल की क्षमता 100 से 300 करने की घोषणा लंबे वक्त बाद भी लंबित है। शहर के मरीज डिमरापाल जाकर भर्ती नहीं होना चाहते लेकिन बेड की कमी की वजह से उन्हें वहां जाना पड़ रहा है। महारानी अस्पताल को पिछली सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च करके संवारा था। तब कहा गया था कि समय के साथ यहां की मांग के अनुरूप काम होते रहेंगे लेकिन बीते दो साल में यहां एक भी नया काम नहीं हो पाया है।
ट्रामा यूनिट की शुरुआत नहीं हो पाई है। साथ अन्य जरूरी यूनिट पर भी कोई पहल नहीं हो रही है। जरूरी जांच और अन्य चीजों के लिए अब भी जगदलपुर के लोगों को रायपुर या विशाखापट्टनम जाना पड़ रहा है। अस्पताल में एक्सर्प्ट डॉक्टर की कमी तो शुरुआत से बनी हुई है। यही कारण है कि यहां पर लोग सामान्य उपचार के लिए ही पहुंच रहे हैं। ओपीडी में आने वाले ज्यादातर लोग चाहते हैं कि उनका इलाज यहां सामान्य तरीके से निपट जाए क्योंकि बड़ी बीमारी का यहां सही तरीके से उपचार संभव नहीं होता।
CG News: कई बार ऐसा होता है कि मेकाज से ज्यादा पर डे ओपीडी महारानी अस्पताल की हो जाती है। बावजूद इसके महारानी अस्पताल में बेड बढ़ाने को लेकर कोई पहल नहीं हो रही है। महारानी में एक्सपर्ट डॉक्टरों का भी अभाव है। इस वजह से भी यहां पर गंभीर मरीजों को नहीं रखा जा रहा है। जिला अस्पताल को जरूरत के अनुसार डेवलप करने की दिशा में प्रभावी प्रयास नहीं हो रहे हैं।
धनियालुर के निवासी मंगलू (45 वर्ष) ने बताया कि वे पेट दर्द से तड़प रहे थे। महारानी अस्पताल पहुंचे, लेकिन बेड नहीं मिला। डॉक्टर ने तुरंत मेकाज रेफर कर दिया। अगर बेड होते, तो शायद यहीं इलाज हो जाता। मेकाज जाकर उपचार करवाना ज्यादा कष्टप्रद है। हमारे लिए महारानी ही बेहतर है। यहां बेड बढऩा चाहिए।
मेरा नाम सुखराम है और मैं नियानार से आया था, अभी ओपीडी में बच्ची की जांच करवाया तो डॉक्टरों ने कमजोरी होने पर मेकाज में भर्ती करने कहा। अब वहां जाकर इलाज करवाना मुश्किल होता है। जगदलपुर हमारे गांव से भी पास है तो यहां ज्यादा सहुलियत होती है। यहां पर बेड बढऩा चाहिए।
CG News: जगदलपुर और आसपास के मरीज महारानी और मेकाज के बीच अटके हैं। यहां से वहां बड़ी आसानी से भेज दिया जाता है। उसके बाद हम जैसे मरीज परेशान होते हैं। मेरा नाम महेश हैं और मैं संजय गांधी वार्ड से आया था। अब मुझे और मेरी बच्ची को मेकाज भेजा जा रहा है। वहां पेरशानी होती है। मरीज हर दिन ओपीडी में आते हैं, बेड की कमी की वजह से गंभीर मरीजों को मेकाज या बस्तर से बाहर भेज रहे
महारानी अस्पताल में केवल 100 बेड होने से गंभीर मरीजों को तुरंत ही रेफर कर दिया जाता है। ओपीडी की क्षमता मेकाज जितनी है, लेकिन बेडों की कमी की वजह से हम मरीजों को रेफर करने को मजबूर हैं: डॉ. संजय प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक
सरकार ने 2023 में महारानी अस्पताल को 200 बेड का जिला अस्पताल बनाने की घोषणा की थी, लेकिन बजट और निर्माण में देरी से यह योजना कागजों तक सीमित है। मेकाज अधीक्षक ने कहा कि जरूरत के हिसाब से कई बार 200 बेड जितनी व्यवस्था भी करनी पड़ती है। लेकिन यह भी काफी कम है।
Updated on:
11 Nov 2025 01:36 pm
Published on:
11 Nov 2025 01:34 pm
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