मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जनपद की करीब 100 दुकानों पर देसी शराब का स्टॉक पूरी तरह खत्म हो चुका है। वहीं कई दुकानों पर कुछ ही पेटी बची हुई हैं। बताया जा रहा है कि कोतवाली देहात कस्बे में स्थित देसी शराब की दुकानों पर तीन दिन से ताला लगा हुआ है। वहीं महेश्वरी जट्ट की भी दुकान पर शराब नहीं मिली रही है। इसके अलावा रामपुर, फुलसंदा, गुनिया पुर आदि आसपास के क्षेत्रों में स्थित किसी भी देसी शराब की दुकान पर स्टॉक नहीं है। जिससे यही अनुमान लगाया जा रहा है कि पंचायत चुनाव के चलते उम्मीदवारों ने वोटरों को पिलाने के लिए सभी ठेकों के स्टॉक को खरीद लिया है। इतना ही नहीं, रिपोर्ट की मानें तो जनपद में मौजूद देसी शराब के चार गोदामों पर भी स्टॉक खत्म हो चुका है।
15 दिन में सात लाख लीटर देसी शराब गटक गए लोग आबकारी विभाग के मुताबिक देसी शराब के ठेकों पर महज 15 दिन में लोग 7 लाख लीटर शराब लेकर गटक गए हैं। वहीं जानकारों का कहना है कि इसके पीछे कारण पंचायत चुनाव है। वोटरों को लुभाने के लिए उम्मीदवारों ने जमकर शराब पिलाई है। वहीं अनुमान लगाया जा रहा है कि जनपदवासियों द्वारा गटकी गई 7 लाख लीटर देसी शराब की कीमत 28 करोड़ रुपये बैठती है। जिसे सिर्फ 15 दिन में ही पी लिया गया।
मार्च में 100 करोड़ की शराब बिकी थी गौरतलब है कि मार्च महीने में होली का त्योहार होने के चलते जनपद में खूब शराब बिकी थी। आबकारी विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक मार्च में अंग्रेजी शराब, बीयर और देसी शराब को मिलाकर कुल 100 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई थी। अकेले देसी शराब ही मार्च में 65 करोड़ रुपये की बिकी थी।