
बिजनौर। मन में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो बड़े से बड़ा काम भी आसान हो जाता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया बिजनौर की अलका ने। जिन्होंने गाय के गोबर से राखियां तैयार की है। दावा है कि सेहत के लिहाज से ये राखी देश ही नहीं, विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुकी हैं। देखिए बिजनौर से खास रिपोर्ट-
बिजनौर के नगीना की रहने वाली अलका लहोटी पिछले कई वर्षों से श्रीकृष्ण गोशाला चलाकर गो सेवा कर रही हैं। वह बताती हैं कि दो साल पहले इनके मन में ख्याल आया कि क्यों न गोबर से बनी राखियां बनाई जाए। पिछले साल बनी राखियों में भले ही इन्हें कामयाबी न मिली हो लेकिन अलका ने हिम्मत नहीं हारी और उसी का नतीजा यह रहा कि वह राखियां बनाने में कामयाब हो गईं। यही वजह है कि गाय के गोबर से बनी राखियां देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूम मचा रही हैं।
वह बताती हैं कि इस साल पहली मर्तबा अलका गोबर से बनी राखियों को लेकर कुंभ गई थीं। जहां पर आनंद श्री विभूषित महामंडलेश्वर मां योग योगेश्वरी यति पंचदशी जाम जूना अखाड़ा ने खूब प्रशंसा की थी। तभी से अल्का को राखी बनाने की लगन लग गई। अलका की गौशाला में वैसे तो गाय के गोबर से कई मॉडल बनाए जाते हैं। लेकिन रक्षाबंधन के चलते इन दिनों गोबर से बनाई गई राखी को डिजाइन करके तैयार किया जा रहा है।
इसका नतीजा यह रहा कि दिन-रात एक करके राखी को बनाने के लिए गौशाला में 8 कारीगर राखी को बनाने में जुटे हैं। रक्षाबंधन का त्यौहार नजदीक आते ही अलका ने गोबर से बनी 1000 राखियां अब तक बेच भी दी हैं। प्रत्येक राखी की कीमत महज ₹50 रखी गई है। वह बताती हैं कि गोबर से बनी राखियां सेहत के लिहाज से भी बेहद मुफीद हैं। मोबाइल ,टीवी, लैपटॉप से निकलने वाली हानिकारक किरणों को गोबर कम कर देता है। साथ ही आध्यात्मिक तौर पर भी हिंदू धर्म में गोबर को पूजा जाता है। घर में रखे गमले में गोबर को खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
Updated on:
13 Aug 2019 05:01 pm
Published on:
13 Aug 2019 05:00 pm
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