पुलिस की पकड़ से बचने के लिए कुछ सटोरियों ने कारों में ही सट्टे का संचालन करने का नया तरीका निकाला है। एेसे में पुलिस उनके मोबाइल की लोकेशन को ट्रेस भी करती है तो वह जगह बदलकर बच निकलते है। पुलिस मुखबिर तंत्र के सहारे सटोरियों पर जल्द ही कार्रवाई का दावा कर रही है। परन्तु हालात देखकर एेसा नहीं लगता कि पुलिस इस बार आइपीएल सीजन में कुछ करतब दिखा पाएगी।
सटोरियों के पास नई तकनीक के डिवाइस बरामद हो चुके है। पिछले साल पुलिस ने सटोरियों से ऐसे सूटकेस बरामद किए जिनमें नई तकनीक के डिवाइस लगे हुए थे। इनसे एक मोबाइल को जोडऩे पर सभी लाइनों के एक साथ भाव बताए जा सकते हैं। यह भाव सीधे फंटर तक पहुंच जाते हैं। सबसे छोटा मोबाइल सूटकेस पांच से सात लाइनों का होता है। बीकानेर जिलेभर में 82 से 85 बुकी की लाइनें चल रही है। बड़े बुकी सीधे क्रिकेट मैदान से जुड़े हुए हैं।
जिले में 500 से ज्यादा बुकी हैं। कई जगह हर मैच में एक करोड़ रुपए तक का सट्टा लगता है। कुछ छोटी बुक भी चल रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक जिलेभर में 25 से 30 करोड़ का सट्टा कारोबार हो रहा है।
सूदखोर सट्टे में फंसे लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें पांच से 20 रुपए सैंकड़ा ब्याज के हिसाब से रुपए दे रहे हैं। इनमें ज्यादातर वे ही लोग हैं जो सट्टे में बड़ा घाटा खा चुके होते हैं। सूदखोर गारंटी के लिए खाली चेक या फिर जमीन के कागजात गिरवी रखते हैं।