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शादी करने के सवाल पर एमएलए सिद्धि बोलीं- शादी नहीं…., अब सोलो जर्नी

बीकानेर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य और बीकानेर पूर्व क्षेत्र की तीन बार से विधायक सिद्धि कुमारी ने अपनी शादी पर फुल स्टॉप लगा दिया है।

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हरेन्द्रसिंह बगवाड़ां

बीकानेर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य और बीकानेर पूर्व क्षेत्र की तीन बार से विधायक सिद्धि कुमारी ने अपनी शादी पर फुल स्टॉप लगा दिया है। सिद्धि ने शादी को लेकर पूछे सवाल के जवाब में बेबाकी से कहा कि शादी करने के बजाय जीवन का सफर अकेले तय करने फैसला कर लिया है। बीकानेर की जनता ही अब उनका परिवार है।

पूर्व राजकुमारी इन दिनों अपनी सक्रियता को लेकर भी चर्चा में हैं। कभी सड़कों को लेकर अपने विधानसभा क्षेत्र के साथ भेदभाव होने पर वे पीडब्ल्यूडी के कार्यालय में धमक जाती है तो कभी पानी की समस्या को लेकर अधिकारियों की क्लास लेती दिखती हैं। और तो और लालगढ़ पैलेस के सामने स्थित अपने कार्यालय में वे नियमित जनसुनवाई भी कर रही हैं। विधायक सिद्धि कुमारी ने शुक्रवार को राजस्थान पत्रिका से खुलकर बात की। अच्छी बात रही कि कुछ निजी सवालों के जवाब भी उन्होंने बेबाकी से दिए। पेश है उनसे बातचीत के मुख्य अंश-


1. आप तीन बार की एमएलए है, लेकिन आपकी गिनती अभी राजनीतिक रूप से परिपक्व नेताओं में नहीं होती। क्या कारण है?

- यह आपका आरोप हो सकता है लेकिन...... वैसे मैं यह स्वीकार करती हूं ( हंसते हुए......)

2. जनता के बीच भी आपको कम देखा जाता है। जनता आपका बहुत लिहाज करती है लेकिन, आप को उनसे मिलना तक गवारा नहीं है?

- देखिए, जनता ही मेरी ताकत है। हर छोटी-मोटी बात पर ध्यान देना मेरी आदत में नहीं है। लेकिन पब्लिक इन्ट्रेस्ट में जो कुछ बन पड़ता है, मैं वह सब करती हूं। अपने लोगों के बीच उठने-बैठने में मुझे कोई समस्या नहीं है। हां, मेरी अपनी कुछ सीमाएं हो सकती हैं।

3. महलों से निकल कर जनता के बीच जाना आपको अखरता तो नहीं?

- क्यों अखरेगा? मैं जो काम हाथ में लेती हूं, उसे हर हाल में पूरा करती हूं। हमेशा ऊर्जा से लबरेज होकर जनसेवा के काम करती हूं। किसी का बुरा न करती, न सोचती हूं। ज्यादातर नेताओं की तरह गन्दे खेल खेलने में भी मेरा यकीन नहीं है। मेरी नानीसा देवेन्द्र कंवर एमएलए रहीं। मेरी मामीसा आशा कुमारी हिमाचल से आज भी एमएलए है। इन्हें देखकर ही जनता के बीच रहना सीखा।

4. पिछले दिनों कोरोना से शहर को झकझोर सा दिया। कोरोना के कारण लोगों की नौकरियां चली गई, धन्धे चौपट हो गए। आपने क्या मदद की?

- कोरोना ने किसी एक का तो नुकसान नहीं किया, सभी का किया। हर एक की मदद करना और सबको नौकरियां देना, किसी के बूते में नहीं है। मेरे भी यह वश की बात नहीं है। लेकिन संकट के समय जो हो सकता था वह मैने किया। अब भी कर रही हूं। आगे भी करूंगी? जहां तक बेरोजगारी का सवाल है......नौकरियों के लिए अच्छी तालीम जरूरी है। अच्छा पढऩे-लिखने वालों को नौकरियां मिल ही जाती है।

5. जयपुर, जोधपुर, उदयपुर और कोटा जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं, बीकानेर का विकास उस तेजी से नहीं हो पा रहा?

- तेज विकास के लिए कुछ रुकावटें हैं। जिन्हें दूर करना होगा। हमारा हैरिटेज, कल्चर एवं मारवाड़ी भाषा हमारी यूएसपी है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को मारवाड़ी बोलनी चाहिए। यह अपनेपन की भाषा है। पीबीएम, वेटनरी कॉलेज के भवन हमें पूर्वजों की विरासत में मिले हैं। रीकों भी विकास के लिहाज से अच्छा काम कर रहा है।

6. मां को खोने के बाद आपके जीवन पर क्या असर पड़ा?

- मैने कभी सोचा ही नहीं था, मां के बिना जीना पड़ेगा। मां के खोने का दर्द जीवनभर रहेगा। जीवन में समझौता करना पड़ता है। वे मेरी पॉलिटिकल एडवाइजर, मेरी मेन्टर सबकुछ थी।

7. दादीसा (पूर्व राजमाता) की देखरेख क्या आप ही करती है?

- नहीं, इसका ठीक उल्टा है। ....हंसते हुए। वे इस उम्र में भी मुझे संभाल रही है।

8. आप शादी कब करेंगी?

- शादी नहीं करूंगी। तय कर लिया है कि अब सोलो जर्नी करूंगी। वैसे बीकानेर की जनता को ही मैंने परिवार माना है। जनता के साथ ही जीऊंगी-मरूंगी।

9. आपकी दिनचर्चा क्या रहती है?

- सुबह की शुरुआत बुद्धा चैंन्टिग से करती हूं। एक्सरसाइज करती हूं। ऑफिस में पेपरवर्क निपटाती हूं। म्यूजियम से मुझे बहुत लगाव है, इसे संभालती हूं। शाम को लालगढ़ के सामने बने कार्यालय में जनसुनवाई करती हूं। खाली समय में पेन्टिग करती हूं। वासुदेव गायक्वांडे की पेटिंग्स पर मेरी अच्छी रिसर्च है। पढ़ती भी हूं।