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कड़वा तुम्बा बन रहा आमदनी का मीठा फल

औषधीय महत्व ने बढ़ाई मांग : नेशनल हाइवे के किनारे खरीददारों ने जमा किए हजारों क्विंटल तुम्बा

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कड़वा तुम्बा किसानों के लिए बन रहा आमदनी का मीठा फल

कड़वा तुम्बा बन रहा आमदनी का मीठा फल

महाजन (बीकानेर) . धोरों में खरीफ के सीजन में उगने वाले खरपतवार तुंबा अब किसानों के लिए सिरदर्द की जगह अच्छी आमदनी का जरिया बन गया है। सर्वाधिक कड़वा फल माने जाने वाले तुम्बा के औषधीय महत्व के कारण मांग होने से अब किसान के लिए आमदनी का मीठा फल बन गया है। बीकानेर-श्रीगंगानगर नेशनल हाइवे के दोनों तरफ जगह-जगह खाली जमीन पर हजारों क्विंटल तुम्बा काटकर सुखाने के लिए डाले हुए हैं। यह तुम्बा बाहर से आए व्यापारियों के हैं। जो 220 से 250 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से इनकी खरीद कर काटकर सुखाने के बाद बीज निकाल कर ले जाते हैं।

महाजन सहित आसपास के क्षेत्र के बारानी खेतों में ग्वार, मोठ, मूंग व बाजरा की फसल के साथ खरपतवार के रूप में तुंबा उगता है। बारिश कम होने पर खाली पड़े खेतों में भी तुम्बा की बेल उग जाती है। पहले किसान इसे खरपतवार मानकर खेत से हटाने पर परिश्रम और पैसा खर्च करते थे। अब तुम्बा की पूछ होने से यह ग्रामीणों के लिए आमदनी का जरिया बन गया है। ऐसे में लोग खेतों से एकत्र कर तुम्बा को व्यापारियों को बेचकर लाखों रुपए कमा रहे हैं। साथ ही तुम्बा को काटकर सुखाने और एकत्र कर बीज निकालने के काम के लिए सैकड़ों श्रमिकों को रोजगार भी मिल गया है।

40 से 45 हजार रुपए क्विंटल बीज
व्यापारियों ने महाजन के पास राजमार्ग के किनारे हजारों क्विंटल तुम्बे का स्टॉक कर रखा है। तुम्बे को काटकर सुखाने के बाद थ्रेसर मशीन से इसके बीज अलग किए जाते हैं। एक ङ्क्षक्वटल तुंबे से करीब 4 से 5 किलोग्राम बीज निकलते हैं। यह बीज दिल्ली, जोधपुर, अमृतसर सहित अन्य शहरों के व्यापारी 40 से 45 हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचते हैं। आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कम्पनियां भी तुम्बा के बीज को खरीदती है। तुंबे के व्यापारी रामनारायण ने बताया कि हर वर्ष सीजन में 200 से 300 क्विंटल तक माल तैयार कर आगे बेचते हैं।

दवा में हो रहा उपयोग
महाजन निवासी कालूराम स्वामी ने बताया कि तुंबा का छिलका पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ इंसानों की आयुर्वेदिक औषधियों में भी काम आता है। शुगर, पीलिया, कमर दर्द आदि रोगों की आयुर्वेद औषधियों में तुम्बे का उपयोग हो रहा है। गाय, भैंस, भेड़, बकरी, ऊंट आदि में होने वाले रोगों में तुंबे की औषधि लाभदायक है। तुंबे की मांग दिल्ली, अमृतसर, भीलवाडा आदि में है।

औषधीय गुण के चलते मांग
पशुओं में औषधि के रूप में तुम्बा दिया जाता है। जो कारगर है। आजकल कई देशी और आयुर्वेदिक दवाइयों में भी इसका उपयोग होने लगा है। चिकित्सक की सलाह से इसे तय मात्रा में ही लेना चाहिए।
डॉ. राजेश पारीक, पशु चिकित्सा प्रभारी महाजन।