उत्तरप्रदेश के बांदा निवासी श्रमिक पवन पुत्र वशरथ ने आपबीती सुनाई। वे बताते हैं कि कानासर में ईंट भट्टा का मालिक उत्तरप्रदेश के अनुसूचित जाति के करीब २५ श्रमिकों के परिवार को अवैध रूप से बंधक बनाकर रखा हुआ है। दीपावली की रात पवन कुमार उनकी कैद से भागने में सफल हो गया। उसने गांव पहुंच कर गांव के प्रधान विरेन्द्र शुक्ला को पीड़ा बताई और प्रधान को साथ लेकर वापस बीकानेर पहुंचा।
श्रमिक पवन कुमार व प्रधान विरेन्द्र शुक्ला ने पुलिस महानिदेशक, बीकानेर रेंज पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक एवं जिला कलक्टर को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में बताया है कि ईंट-भट्टा मालिक ने १९ सितंबर-२०१८ से जबरन बंदी बना रखा है।
एसएचओ अमरसिंह के मुताबिक जांच में पता चला है कि बिहार बांदा के श्रमिक ठेकेदार नत्थुराम से बीकानेर के एक ठेकेदार ने बात की। वहां से २० जोड़े (महिला-पुरुष श्रमिक) लेकर आया। उसने बस के ८० हजार रुपए किराए पेटे दिए। नत्थुराम के आदमी देशराज को ७० हजार रुपए पेशगी के तौर पर दे दिए। २० हजार रुपए रवाना होते समय खर्चे के दे दिए। ४० हजार रुपए उन्होंने पेमेंट कर दिया। बीकानेर के ठेकेदार ने कुल दो लाख दस हजार का भुगतान कर दिया है। प्रथम दृष्टया पता चला है कि कुछ दिन पूर्व भट्टा मालिक और हरियाणा पुलिस भट्टे पर पहुंची। हरियाणा पुलिस देशराज को पकड़ कर साथ ले गई। बताया जाता है कि हरियाणा के किसी भट्टे से देशराज तीन लाख रुपए लेकर भाग गया था। एसएचओ ने बताया कि यह कोई गिरोह हो सकता है जो श्रमिकों को काम के लिए दूसरे राज्यों में लेकर आते हैं और वहां से रुपए लेकर फरार हो जाते हैं।
श्रमिक परिवारों को जबरन बंदी बनाने संबंधी परिवाद मिला है, जिसकी जांच के लिए जामसर थानाधिकारी को निर्देशित किया है। मामले की सच्चाई सामने लाई जाएगी। दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई करेंगे।
सवाईसिंह गोदारा, पुलिस अधीक्षक