
सेवारत चिकित्सकों व सरकार के बीच चल रही कशमकश कम होने का नाम नहीं ले रही। सरकार और धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों की लड़ाई में आमजन पसीज रहा है। गांवों में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर गई है जबकि शहर के सरकारी अस्पतालों में भी हालात ठीक नहीं है।
संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल से मरीज निराश लौट रहे हैं। यहां पहुंचने वाले लोग मजबूरन निजी अस्पतालों में महंगा इलाज करा रहे हैं। पांच दिन बाद भी सेवारत चिकित्सकों और सरकार के बीच चल रही तनातनी से मरीजों का बुरा हाल हो गया है। आयुष चिकित्सकों के भरोसे गांवों की चिकित्सा व्यवस्था है। हालात यह है कि गंभीर रोगियों के अलावा सामान्य रूप से भर्ती मरीजों की कोई सार-संभाल नहीं हो रही है।
ये हैं हालात
हड़ताल के चलते सेवारत चिकित्सक, रेजिडेन्ट व सीनियर रेजिडेन्ट अनुपस्थित चल रहे हैं। एसपी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. आरपी अग्रवाल ने बताया कि सेवारत चिकित्सकों में 90 में से 6२, रेजिडेन्टस में 320 में से 314 तथा सीनियर रेजिडेन्टस 55 में से 3३ हड़ताल पर है।
आंदोलन की चेतावनी
राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (आरएमसीटीए) के पदाधिकारियों की बुधवार को बैठक हुई, जिसमें सेवारत चिकित्सकों के साथ हो रही ज्यादती का विरोध किया गया। उन्होंने सरकार से सेवारत चिकित्सकों के साथ सकारात्मक वार्ता करने की मांग उठाई। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अभिषेक बिन्नाणी व सेक्रेटरी डॉ. गुंजन सोनी ने चेतावनी दी कि एआरआईएसडीए की न्यायोचित मांगों के समर्थन में आरएमसीटीए को मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा।
गांवों से पहुंच रहे शहर
चिकित्सकों की हड़ताल पांच दिन से चल रही है। हालात यह है कि गांवों में उपचार व्यवस्था पूरी तरह ठप है। गांवों से लोग शहर में पहुंच रहे हैं और यहां भी उन्हें पूरा व सही उपचार नहीं मिल रहा है, जिससे स्थितियां बिगड़ रही है। बुधवार को ट्रोमा सेंटर में एक मरीज को दिखाने पहुंचे परिजन को चिकित्सक नहीं मिलने पर वह नाराज हो गया।
बाद में उसे वहां मौजूद लोगों ने समझाबुझा कर रवाना किया। चिकित्सकीय सूत्रों का कहना है कि सरकार ने चिकित्सकों के साथ गलत किया है। सरकार चिकित्सकों से किसी तरह की वार्ता नहीं कर रही है। सरकार की इस कार्रवाई ने चिकित्सकों का सरकार से विश्वास उठा दिया है।
Published on:
21 Dec 2017 08:49 am
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