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खबर का हुआ असर : पीबीएम अस्पताल में हेल्परों को मिला वेतन, दवा सप्लाई शुरू

आरके मानव सेवा संस्थान की ओर से पीबीएम में औषधी भंडार से डीडीसी पर दवा सप्लाई करने के लिए 15 हेल्परों को ठेके पर लगाया हुआ है।

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संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल में औषधी भंडार से मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा वितरण केन्द्रों पर दवा सप्लाई करने वाले हेल्पर सोमवार को काम पर लौट आए। इससे दवा पहुंचाने का काम धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा है। सोमवार को 9 दवा वितरण केन्द्रों (डीडीसी) में दवा सप्लाई की गई। आरके मानव सेवा संस्थान की ओर से पीबीएम में औषधी भंडार से डीडीसी पर दवा सप्लाई करने के लिए 15 हेल्परों को ठेके पर लगाया हुआ है।

चेक मिलने में देरी
पीबीएम प्रशासन की ओर से भुगतान का चेक मिलने में देरी हुई, जिससे हेल्परों का वेतन अटक गया। अब चेक मिल गया, हेल्परों को भुगतान किया जा रहा हे। सोमवार से सभी हेल्पर वापस काम पर लौट आए हैं।
रामसिंह, ठेकेदार

समझौता हुआ
हेल्परों ने वेतन नहीं मिलने से काम बंद कर रखा था। सोमवार को हेल्परों व ठेकेदार के बीच समझौता हो गया और वे काम पर लौट आए। दवा सप्लाई का काम शुरू कर दिया है। दो-तीन दिन में डीडीसी पर दवाएं पर्याप्त मात्रा में रखवा दी जाएंगी।
डॉ. गौरीशंकर जोशी, प्रभारी, औषधी भंडार

पत्रिका ने उठाया था मुद्दा
'राजस्थान पत्रिका' ने 10 दिसंबर को खबर प्रकाशित कर मरीजों की परेशानी का मुद्दा उठाया था। इसमें बताया गया था कि पीबीएम अस्पताल में हेल्परों को वेतन नहीं मिल रहा था। हेल्परों ने 21 अक्टूबर से काम करना बंद कर दिया, जिससे दवा सप्लाई की व्यवस्था गड़बड़ा गई।

23 दिनों तक हेल्पर काम पर नहीं लौटे, जिससे दवा वितरण केन्द्रों पर पहुंचने वाले मरीजों को आधी-अधूरी दवाएं मिल रही थी। खबर प्रकाशित होने के बाद एसपी मेडिकल कॉलेज एवं पीबीएम अस्पताल प्रशासन ने ठेकेदार से हेल्परों के मसले पर वार्ता की। वार्ता में हेल्परों को शीघ्र वेतन मिलने का आश्वासन देने पर वे काम पर लौट आए।

पीबीएम में घंटों छाया रहा अंधेरा
पीबीएम अस्पताल में सोमवार शाम से देर रात तक बिजली गुल रहने से भर्ती मरीज और उनके परिजन घंटों परेशान रहे। तकनीकी खराबी के कारण अस्पताल के अधिकतर वार्डों व अनुभागों में बिजली गुल होने से मरीजों का उपचार भी प्रभावित हुआ।

सर्वाधिक परेशानी जनाना अस्पताल व वार्ड में भर्ती मरीजों को हुई। मरीजों के ड्रिप लगाने, ब्लड चढ़ाने व इंजेक्शन सहित अन्य आवश्यक उपचार का कार्य मोबाइल की बैट्रियों में होता रहा। वार्डों और गलियारों में अंधेरे के कारण घंटों परेशानी होती रही। हालांकि अस्पताल की ईएमडी शाखा की ओर से तकनीकी फॉल्ट को ढूंढकर ठीक करने के प्रयास चलते रहे, लेकिन धीमी गति से चल रहे कार्य के कारण मरीज एवं परिजन परेशान हुए।