बीकानेर. शहर में एक पखवाड़े से पड़ रही भीषण गर्मी के बीच मंगलवार देर रात आई आंधी ने ‘कोढ़ में खाज’ का काम किया। शहरवासी दिनभर उमसभरी गर्मी व धूल से त्रस्त रहे। धूल के गुबार की वजह से दृश्यता कम रही। वहीं उड़कर आई धूल ने गृहिणियों का काम दोगुना कर दिया। ३२ किमी की रफ्तार से आई आंधी से सड़क से लेकर घर-आंगन तक में रेत की मोटी परत जम गई और घरों में सफाई पर कई किलो तक रेत निकली। दुकानों और दफ्तरों में भी यही हाल रहा।
हालांकि दिन के तापमान में दो डिग्री की गिरावाट हुई, लेकिन उमस ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए। शहर में बुधवार को दिनभर गर्द छाई रही। चारों तरफ छाई धूल से ज्यादा दूर तक साफ दिखाई नहीं दे रहा था। इससे वाहनचालकों को दिन में ही लाइटें जलाकर चलना पड़ा। तेज हवा से हालांकि शहर में कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन शहरवासियों की परेशानी बढ़ा दी। सुबह से ही लोग घर में आई मिट्टी को साफ करते रहे। गर्मी भी सुबह से ही तेज रही।
श्वांस व अस्थमा रोगियों को परेशानी
दो दिन से चल रही धूलभरी हवा से टीबी रोगियों के साथ श्वांस व अस्थमा रोगियों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। श्वांस व अस्थमा रोगियों को श्वांस लेने एवं बाहर घूमने में दिक्कत हो रही है। अस्थमा पीडि़तों को अस्थमा के अटैक का खतरा बढ़ गया है। पीबीएम के श्वसन रोग विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर डॉ. गुंजन सोनी ने बताया कि दो से तीन माइक्रोन की डस्ट बेहद महीन होती है, जो श्वांस के जरिए सीधे फेफड़ों में जाती है। इससे अस्थमा व श्वांस के रोगियों को परेशानी होती है।
महीन डस्ट से अस्थमा का अटैक, श्वांस लेने तकलीफ, छाती में जकडऩ, आंखों में एलर्जी होती है।यह सावधानी बरतें : डॉ. सोनी ने बताया कि आंधी के बाद हवा में धूल के महीन कण घुल जाते है, जिन्हें डस्ट माइट कहते हैं। यह डस्ट माइट घरों में जम जाती है। ऐसे में घर की सफाई के दौरान गीला कपड़ा करके धूल हो हटाए। अस्थमा व श्वांस रोग से पीडि़त व्यक्तियों के अलावा आमजन भी खूब पानी पीएं, मुंह पर मास्क लगा कर रखें।
कूलर भी बेअसर
दिन में आसमान में धूल छाई रहने से उमस अधिक रही। कपड़ों में पसीना और चिपचिपाहट से शहरवासी बेचैन होते रहे। सुबह व रात में हवा से मामूली राहत मिली, लेकिन उमस ने कूलर व पंखों को बेअसर साबित कर दिया है। गर्मी से इंसान ही नहीं, जानवर तक परेशान रहे। शहर में अधिकतम तापमान ४४.६ डिग्री व न्यूनतम तापमान ३१.२ डिग्री सेल्सियस रहा।