
जात न पूछो नेता की...
जहां सियासी पार्टियां टिकट देने में जातिगत समीकरण साधते दिखती है, वहीं कुछ ऐसे उदाहरण भी चुनावी नजीर बने जब जातीय मिथक तोड़ते हुए जनता जनार्दन के आशीर्वाद से प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में नेता जीतकर पहुंचे। ऐसा ही एक चुनावी किस्सा दिवंगत नेता माणिक चंद सुराणा से जुड़ा हुआ है।
वैश्य समाज के सुराणा लूणकरनसर जैसी जातिगत गणित वाली सीट पर जीते। वह भी कई बार। उस दौर में संघर्षशील नेता और विद्वान अधिवक्ता के रूप में पहचान कायम कर चुके सुराणा को तब भाजपा का प्रदेश नेतृत्व राजधानी के आस-पास की सीटों पर चुनाव लड़वाकर सदन में लाने को तैयार भी था। लेकिन सुराणा ने अपनी कर्मभूमि को नहीं छोड़ा।
बात वर्ष 1999 की है। लूणकरनसर में बादल फटने से सरकारी और आम लोगों के भवनों, पशुधन की भारी क्षति झेलनी पड़ी। तब भाजपा नेता माणिक चंद सुराणा 48 लोगों के प्रतिनिधि मंडल को लेकर पीडि़तों के लिए मदद मांगने दिल्ली पहुंच गए। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने इस प्रतिनिधि मंडल से अपने निवास पर मुलाकात की।
सुराणा ने लूणकरनसर क्षेत्र में बादल फटने की प्राकृतिक आपदा से उपजे विकट हालात की अटलजी को जानकारी दी। साथ लेकर गए कुछ प्रभावित लोगों से भी रूबरू कराया। विशेष मदद करने का आग्रह किया। इस पर वहां मौजूद एक बड़े नौकरशाह ने बजट अधिक होने की बात अटलजी के कान में कही। इस पर अटलजी मुस्कुराते हुए बोले कि यह आपकी चिंता का विषय नहीं है। जो सुराणाजी का मांग पत्र है, वो मेरा आदेश है।
सुराणाजी ने बीच में कुछ बोलने की कोशिश की तो अटलजी ने रोकते हुए कहा सुराणाजी मैंने आपके लिए मिठाई ईमरती मंगवाई है। आप मुंह मीठा कर निश्चिंत होकर जाईए। इस दौरान वहां तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री सुभाष महरिया, तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री वसुंधरा राजे और प्रतिनिधि मंडल में शामिल नोखा के तत्कालीन प्रधान सहीराम बिश्नोई, मीना आसोपा, सांवतराम पंचार, मीरा शर्मा, रामस्वरूप बिश्नोई, प्रदीप गुटका, तत्कालीन छात्र नेता अशोक भाटी भी मौजूद थे।
अटलजी ने केन्द्र सरकार की ओर से लूणकरनसर के लिए 9.60 करोड़ रुपए पैकेज जारी किया। इसके साथ 25 फीसदी राशि राज्य सरकार को खर्च करनी थी। यह करीब 11 करोड़ रुपए से अधिक की राशि से लूणकरनसर में सरकारी भवन बने। प्रभावित लोगों के मकान बने और पशु आदि की क्षतिपूर्ति के लिए राहत राशि बांटी गई।
इस घटना के कुछ समय बाद ही तत्कालीन लूणकरनसर विधायक भीमसैन चौधरी का असामयिक निधन होने से लूणकरनसर सीट पर उप चुनाव की घोषणा हुई। भाजपा ने सुराणा को अपना प्रत्याशी बनाया। उस समय सुराणा की बिरादरी के नाम मात्र के परिवार ही इस क्षेत्र में मतदाता थे। तब चुनाव में यह नारा जात ना पूछो नेता की...खूब सुर्खियों में रहा। इस विधानसभा चुनाव में अच्छे मतों से सुराणा चुनाव जीत गए।
Published on:
15 Nov 2023 04:37 pm
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