बीकानेर. रक्तदान कोई साधारण दान नहीं है। यह वह ‘महादान’ है जिससे किसी की डूबती सांसों को किनारा मिलता है। बीकानेर जैसे शहर में, जहां एक ओर तापमान आसमान छूता है, वहीं दूसरी ओर इंसानियत की नब्ज हर साल और मजबूत होती जा रही है 43,151 रक्तदाताओं के स्पर्श से। बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में हर साल औसतन 150 से अधिक रक्तदान शिविर आयोजित होते हैं। इनमें एकत्रित रक्त यूनिट्स में से 20 हज़ार से ज्यादा यूनिट केवल इन शिविरों से मिलते हैं। यहां किसी मरीज को खून देने से मना नहीं किया जाता, चाहे वह लावारिस हो या गरीब। पीबीएम ब्लड बैंक के मुताबिक, तकरीबन 42,341 यूनिट रक्त हर साल जरूरतमंद मरीजों को दिया जाता है।
हर रक्त यूनिट को एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी, मलेरिया और सिफिलिस जैसी बीमारियों के लिए जांचा जाता है। संदिग्ध रक्त को उपयोग में नहीं लिया जाता। हर कदम पर सावधानी, ताकि ज़िंदगी बहे भरोसे के साथ।
ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. नवरंगलाल महावर कहते हैं कि एक समय था जब लोग रक्तदान से डरते थे। आज बीकानेर में हर दिन कहीं न कहीं शिविर लग रहा है। पुरुष हर 3 माह में और महिलाएं हर 4 माह में रक्तदान कर सकती हैं।
विश्व रक्तदान दिवस कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिन पर मनाया जाता है, जिन्होंने ब्लड ग्रुप की खोज कर अनगिनत ज़िंदगियों को दिशा दी।
43,151 यूनिट रक्तदान हर साल
150 से अधिक शिविर
42,341 यूनिट रक्त प्रति वर्ष मरीजों को चढ़ाया गया
21,000 रक्तदाताओं ने अपने मरीज के लिए स्वयं किया रक्तदान
टॉपिक एक्सपर्ट
डॉ. नवरंगलाल महावर, प्रभारी ब्लड बैंक पीबीएम अस्पताल
विश्व रक्तदान दिवस 14 जून को अमरीका के वैज्ञानिक कार्ल लैंड स्टीनर्स के जन्म दिन पर मनाया जाता है। उन्होंने सबसे पहले ब्लड ग्रुप ए,बी और ओ की खोज की थी। इसके बाद रक्त का आदान-प्रदान होने लगा। वर्ष 1938 में रक्त में पॉजीटिव और नेगेटिव की खोज हुई। आमतौर पर स्वस्थ पुरुष को तीन माह में एक बार और महिला को चार माह में एक बार रक्तदान करना चाहिए। स्वस्थ मनुष्य 18 से 60 साल तक रक्तदान कर सकता है।
Published on:
14 Jun 2025 12:50 pm