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अच्छा रहता केन्द्र सरकार पहले ही काले कानून वापस ले लेती -बेनीवाल

तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने शुक्रवार को कहा कि अच्छा यह रहता केन्द्र सरकार पहले ही काले कानूनों को वापस ले लेती।

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farm laws repeal on hanuman beniwal

hanuman beniwal in Bikaner

बीकानेर। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संस्थापक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने शुक्रवार को सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अच्छा यह रहता केन्द्र सरकार पहले ही काले कानूनों को वापस ले लेती। एक साल तक किसानों ने संघर्ष किया और आठ सौ से ज्यादा किसानों ने शहादत दी। संसद से लेकर सड़क तक रालोपा ने लड़ाई लड़ी। सभी के संघर्ष का परिणाम है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को झुकना पड़ा।

बेनीवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार बिल तैयार करने से पहले किसानों से रायशुमारी करती और एनडीए के घटक दलों के साथ बात करती तो यह नौबत नहीं आती। उत्तर भारत में एक मात्र रालोपा ने संसद से लेकर सड़क तक पर उतर कर कृषि कानूनों का विरोध किया।

देश में सबसे महंगा पेट्रोल-डीजल श्रीगंगानगर जिले में
बेनीवाल ने केन्द्र की भाजपा सरकार के साथ प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी हमला बोलते हुए कहा कि देश में सबसे महंगा पेट्रोल-डीजल राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में है। कोरोना पूरी तरह से खात्मा हो जाए। कोई जल्दबाजी नहीं है। जोधपुर से बड़े आंदोलन की शुरुआत करेंगे। किसानों की सम्पूर्ण कर्ज माफी, टोल मुक्त राजस्थान और सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन के मुद्दे रहेंगे।

बीकानेर सांसद पर कटाक्ष
उन्होंने बीकानेर सांसद पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यहां के सांसद कृषि कानूनों को अच्छा बताते थे, अब क्या कहेंगे। बेनीवाल ने साथ ही एनडीए के प्रति नरमी दिखाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार कोई अच्छे बिल लाएगी तो साथ देंगे। बिल किसान और जवान के हित में होने चाहिए। हालांकि उन्होंने एनडीए में जाने की मंशा से इनकार किया।

भावना ठीक नहीं थी भाजपा की
बेनीवाल ने कहा कि मेवाड़ और कोटा भाजपा के गढ़ रहे है। उप चुनाव में जमानते जब्त हुई। उत्तरप्रदेश, पंजाब के चुनाव के चलते और किसानों के डटे रहने से केन्द्र सरकार को बिल वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा। कुल मिलाकर सरकार की भावना ठीक नहीं थी। बेनीवाल ने किसान के नाम पर राजनीति करने वालों पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि नहा-धोकर, सफेद कुर्ता पायजामा पहनकर किसानों के नाम पर राजनीति करने वाले भी ठीक नहीं।