यहां महिलाओं ने गणगौर प्रतिमाओं के दर्शन-पूजन कर मनवांछित फल की कामनाएं की। विदेशी पर्यटकों ने भी गणगौर प्रतिमाओं को अपने सिर पर रखकर नृत्य किए। वहीं शहर में जगह-जगह गणगौर की सवारी निकली। घरों,पाटो, चौकियों आदि पर गणगौर प्रतिमाओं को विराजित कर उनका पूजन किया गया। बारह गुवाड़ चौक में पापा महाराज की धींगा गणगौर की पूजा अर्चना की गई।
गीत-नृत्यों के आयोजन गणगौर पूजन उत्सव की पूर्णाहुति पर शहर में जगह-जगह पारम्परिक गणगौर के गीत गाए गए। महिलाओं ने प्रतिमाओं के आगे नृत्य प्रस्तुत किए। गली-मोहल्लों और घरों में गणगौर प्रतिमाओं का श्रीफल, मिठाई, पताश, दमेदा, नकद राशि से खोळा भरा गया। महिलाओं ने सुहाग सामग्री, बिंदिया, मेहन्दी आदि से खोळा भरा और धोती ओढाने की रस्म निभाई। पुरुष मंडलियों की ओर से गणगौर के गीत गाए गए।
निकली सवारी, हुए पूजन धींगा गणगौर पूजन उत्सव की पूर्णाहुति पर शहर में जगह-जगह गणगौर की सवारियां निकाली गई। महिलाओं ने गणगौर प्रतिमाओं को पानी पिलाने, भोग अर्पित करने, खोळा भरने और धोती ओढ़ाने की रस्म निभाई। सवारी निकालने के दौरान ढोल-नगाड़ो की लयबद्ध आवाजो के बीच महिलाओं और युवतियों ने प्रतिमाओं के आगे नृत्य किए और गणगौर पूजन उत्सव पूर्णाहुति की खुशियां व्यक्त की।