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नख से शिख तक बेहद कीमती आभूषणों से लदी रहती है यह गणगौर

गहनों की सुरक्षा के लिए तैनात करने पड़ते हैं हथियारबंद पुलिसकर्मी  

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नख से शिख तक बेहद कीमती आभूषणों से लदी रहती है यह गणगौर

नख से शिख तक बेहद कीमती आभूषणों से लदी रहती है यह गणगौर

नौशाद अली

बीकानेर. नख से शिख तक सजी-धजी गणगौर बहुत देखी होगी लेकिन बीकानेर के धनाढ्य परिवार की ओर से सालों से चौक में रखी जाने वाली गणगौर की चर्चा हर बार होती है। इस गणगौर को नख से शिख तक इतने गहने पहनाए जाते हैं कि इनकी कीमत करोड़ों रुपए आंकी जाती है। ऐसे में गहनों की सुरक्षा के लिए पुलिस को तैनात किया जाता है। एक बार फिर इस गणगौर का नजारा सोमवार को बीकानेर में देखने को मिला।

आस्था और विश्वास से लबरेज कहानी

निजी गणगौरों में प्रमुख बीकानेर में निकली चांदमल ढढ्ढा की गणगौर की कहानी भी अनूठी है। गहनों से लदी इस गणगौर को सोमवार शाम को ढढ्ढ़ों की पुस्तैनी हवेली से बाहर लाया गया। चौक में बने पाटे पर गणगौर के विराजमान होने के साथ ही दो दिवसीय दर्शन मेला शुरू हो गया। यह मंगलवार को भी आमजन के दर्शनार्थ रहेगी। इसके बाद गणगौर वापस हवेली में चली जाएगी।

संतान की मनोकामना

करीब सवा सौ वर्षों से निकल रही चांदमल ढढ्ढा की गणगौर के पीछे भी संतान प्राप्ति की मनोकामना की कहानी बताई जाती है। लोकचर्चा है कि देशनोक से बीकानेर आकर बसे सेठ उदयमल ढढ्ढा के कोई संतान नहीं थी। राजपरिवार में अच्छी प्रतिष्ठा के कारण उनको शाही गणगौर देखने का निमंत्रण मिला। तब उदयमल की पत्नी ने प्रण लिया की संतान होने के बाद ही गणगौर दर्शन करने जाएगी। एक वर्ष गणगौर की विश्वास एवं आस्था के साथ साधना करने पर उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। इसका नाम चांदमल रखा गया। तभी से प्रतिवर्ष भाईया के साथ गणगौर निकालने की परम्परा शुरू हुई। सेठ चांदमल के गणगौर का भाईया भी उतना ही कीमती है जितनी की गणगौर।