१२ लाख हैक्टेयर भूमि कृषि योग्य
जिले में बीकानेर, लणूकनसर, छत्तरगढ़, खाजूवाला, बज्जू, पूगल में खेती नहरी पानी पर आधारित है। वर्तमान में किसान कपास व नरमा की बुआई कर सकते हैं। इन फसलों की बुआई का समय १५ मई तक है। कृषि जानकारों के अनुसार जिले में १२ लाख हैक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। इसमें ४८०० हैक्टेयर में खरीफ की बुआई की जा रही है। इन दिनों कीट व बीमारियांे के प्रकोप को देखते नरमा-कपास की खेती की तरफ किसानों का रुझान रहता है। कृषि वैज्ञानिक इंद्र मोहन वर्मा के अनुसार किसान देशी कपास, हाईब्रिड नरमा, बीटी किस्म आदि की बुआई कर सकते हैं। यह फसल १७५ दिनों मंे पककर तैयार हो जाती है।
जिले में बीकानेर, लणूकनसर, छत्तरगढ़, खाजूवाला, बज्जू, पूगल में खेती नहरी पानी पर आधारित है। वर्तमान में किसान कपास व नरमा की बुआई कर सकते हैं। इन फसलों की बुआई का समय १५ मई तक है। कृषि जानकारों के अनुसार जिले में १२ लाख हैक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। इसमें ४८०० हैक्टेयर में खरीफ की बुआई की जा रही है। इन दिनों कीट व बीमारियांे के प्रकोप को देखते नरमा-कपास की खेती की तरफ किसानों का रुझान रहता है। कृषि वैज्ञानिक इंद्र मोहन वर्मा के अनुसार किसान देशी कपास, हाईब्रिड नरमा, बीटी किस्म आदि की बुआई कर सकते हैं। यह फसल १७५ दिनों मंे पककर तैयार हो जाती है।
अब खेती के लिए पानी
जिले में पीने का पानी पहले छोड़ दिया गया था। अब पांच मई से खेती के लिए पानी दिया जाएगा। इसके लिए ६२० आरडी से पानी छोड़ा जाएगा।
विनोद मित्तल, मुख्य अभियंता (हनुमानगढ़ उत्तर)
जिले में पीने का पानी पहले छोड़ दिया गया था। अब पांच मई से खेती के लिए पानी दिया जाएगा। इसके लिए ६२० आरडी से पानी छोड़ा जाएगा।
विनोद मित्तल, मुख्य अभियंता (हनुमानगढ़ उत्तर)