
लक्ष्मी पूजन का बही में होता है लेखन, पहले सूचना भेजने की थी परम्परा
बीकानेर. धन की देवी लक्ष्मी का महापर्व दीपावली (Deepawali) घर-घर और प्रतिष्ठानों में धूमधाम से मनाया जाता है। लक्ष्मी पूजन के दौरान घर-परिवार के सभी सदस्य सामुहिक रूप से मां लक्ष्मी का पूजन कर आरती करते है और मां लक्ष्मी से सुख, समृद्धि की प्रार्थना करते है। मां लक्ष्मी के उत्सव की जानकारी दूर-दराज बैठे अपने रिश्तेदारों और आने वाली पीढिय़ों तक पहुंचाने के लिए बही लेखन और पत्र से सूचना भेजने की परम्परा है।
शहर में आज भी दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के बाद पुरानी बहियों (books) और नए रजिस्टर में लक्ष्मी पूजन (laxmi Puja) की जानकारी लिखी जाती है। पहले पोस्टकार्ड, अन्तरदेशीय पत्र अथवा लक्ष्मी पूजन के पेम्फलेट में लिफाफा के माध्यम से अपने परिवारजनों तक डाक से लक्ष्मी पूजन ( Lakshmi Pujan) की जानकारी भेजने की परम्परा रही है। दशकों बाद आज भी लोगों के पास ये पोस्टकार्ड, पत्र, पेम्फलेट, बहिया संभाल कर रखे हुए है।
खरीदते है कलम -दवात
दीपावली पर लोग आज भी पूजन सामग्री (poojan material ) के साथ कलम-दवात खरीदते है। पेन, बॉल पेंसिल, कॉपी, बही, सफेद कागज आवश्यक रूप से खरीदते है। लक्ष्मी पूजन के बाद पूजन उत्सव की जानकारी को कलमबद्ध करते है।
लक्ष्मीजी महाराज सदा साय करै
लक्ष्मी पूजन की जानकारी में मां लक्ष्मी के साथ लक्ष्मीनाथ, मां सरस्वती और मां महाकाली का भी उल्लेख करते है। कुछ लोग भगवान कृष्ण का नाम भी इस जानकारी में लिखते है। बृजेश्वर लाल व्यास बताते है कि लक्ष्मी पूजन की बही में लक्ष्मी पूजन के दिन की हिन्दु तिथि, वार, संवत, ईस्वी सन, घर, परिवार के सदस्यों के नामों का भी उल्लेख करते है। बही के पृष्ठ पर सबसे ऊपर कुमकुम से स्वास्तिक की आकृति बनाकर और भगवान गणेश के लिए श्रीगणेशाय नम: लिखने के बाद बही लेखन करते है। इसमें श्री लक्ष्मीजी महाराज, श्री सरस्वती जी महाराज, श्री महाकाली जी महाराज, श्री लक्ष्मीनाथ जी महाराज के नामों का उल्लेख करने के बाद यह लिखा जाता है कि श्री लक्ष्मीजी महाराज का उत्सव आज तिथि, वार, संवत, ईस्वी सन, लग्न, को घर-परिवार के सदस्यों के साथ हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया।
सूचना भेजने की रही परम्परा
इंटरनेट और सोशल मीडिया के युग में अब लक्ष्मी पूजन की जानकारी पोस्टकार्ड, पत्र से भेजने की परम्परा नहीं है। बृजेश्वरलाल के अनुसार पूर्व में लक्ष्मी पूजन के तुरन्त बाद दूसरे स्थानों पर रहने वाले अपने रिश्तेदारों को पत्र और लक्ष्मी पूजन के पेम्फलेटस को लिफाफो में डालकर भेजने की परम्परा थी। अब यह परम्परा नजर नहीं आ रही है। रंगीन कागज पर लाल स्याही से प्रिंटेड पत्र व पेम्फलेट आज भी कई लोगों के पास वर्षो बाद संभालकर रखे हुए है।
Published on:
14 Nov 2020 07:39 pm
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