
इटली के विद्वान टैस्सीटोरी ने राजस्थानी साहित्य को किया समृद्ध
प्रज्ञालय संस्थान और राजस्थानी युवा लेखक संघ की ओर से इटली मूल के राजस्थानी मायड़ भाषा के विद्वान एल.पी.टैस्सीटोरी की 103 वीं पुण्यतिथि पर उनकी समाधि स्थल के बाहर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। कथाकार कमल रंगा ने कहा कि डॉ.टैस्सीटोरी राजस्थानी भाषा के लिए संघर्ष करने वाले महान सपूत थे। वे ऐसे बहुभाषाविद् थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन हमारी मायड़ भाषा राजस्थानी को मान-सम्मान दिलवाने के लिए समर्पित कर दिया। मुख्य अतिथि शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि वे एक ऐसे गुदड़ी के लाल थे, जिन्होंने तीन महत्वपूर्ण किताबें लिख कर राजस्थानी साहित्य को समृद्ध किया। विशिष्ट अतिथि कवि गिरीराज पारीक ने अपनी काव्य पंक्तियों से उन्हें स्मरण किया।
वरिष्ठ इतिहासविद् डॉ. फारूख चौहान ने कहा कि टैस्सीटोरी जनमानस में राजस्थानी भाषा की अलख जगाने वाले महान साहित्यिक सेनानी थे। कवि जुगल किशोर पुरोहित, डॉ. कृष्णा वर्मा, संस्कृतिकर्मी घनश्याम सिंह एवं गंगाबिशन विश्नोई ने कहा कि इटली से आकर एक विद्वान साहित्यकार ने हमारी भाषा के लिए महत्वपूर्ण काम किया। वरिष्ठ कवियत्री मधुरिमा सिंह, रंगकर्मी बी.एल. नवीन, कवि व्यास योगेश, शायर असद अली असद एवं यशेन्द्र पुरोहित ने भी विचार व्यक्त किए।
समाधि स्थल की उपेक्षा पर रोष
कार्यक्रम में राजस्थानी के समर्थकों ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि बीकानेर नगर-निगम एवं जिला प्रशासन से अनुरोध उपरान्त भी डॉ. टैस्सीटोरी के समाधि स्थल पर साफ-सफाई नहीं कराई गई। हालात ये है कि मुख्य द्वार से समाधि स्थल तक पहुंचना और साथ ही समाधि स्थल पर कार्यक्रम करना भी सम्भव नहीं था। वर्ष 1980 के बाद गत 42 वर्षों में पहली बार समाधि स्थल के मुख्य द्वार पर डॉ. टैस्सीटोरी के चित्र को पुष्पांजलि कर और सड़क पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जबकि इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग संस्था द्वारा लम्बे समय से की जा रही है।
Published on:
22 Nov 2022 09:38 pm
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