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कबाड़ से जुगाड़ : सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों ने बनाई ऑटोमेटिक स्कूल बेल

विद्यार्थियों ने अपने स्तर पर नवाचार करते हुए अनुपयोगी मोबाइल, स्पीकर आदि का प्रयोग करते हुए ऑटोमेटिक स्कूल बेल सिस्टम बनाया है।

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कबाड़ से जुगाड़ : सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों ने बनाई ऑटोमेटिक स्कूल बेल

कबाड़ से जुगाड़ : सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों ने बनाई ऑटोमेटिक स्कूल बेल

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बीएसएफ के छठी कक्षा के विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए कबाड़ से जुगाड़ बना दिया। विद्यार्थियों ने अपने स्तर पर नवाचार करते हुए अनुपयोगी मोबाइल, स्पीकर आदि का प्रयोग करते हुए ऑटोमेटिक स्कूल बेल सिस्टम बनाया है। स्कूल के शिक्षक हुकमचंद चौधरी स्वयं अवार्डप्राप्त शिक्षक हैं और समय-समय पर विद्यार्थियों की प्रतिभा को समझते हुए उनसे भी आविष्कार करवा कर प्रतिभा को निखारने का प्रयास करते हैं।

15 गुना किफायती

फिलहाल स्कूल के विद्यार्थियों ने कबाड़ से जो जुगाड़ बनाया है, वह अगर बाजार से खरीदते हैं तो उसकी कीमत 15 हजार रुपए होती है। इस ऑटोमेटिक उपकरण में अनाउंसमेंट सिस्टम से लेकर वह सभी विकल्प उपलब्ध हैं, जो महंगे से महंगे ऑटोमेटिक स्कूल बेल सिस्टम में होते हैं। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बीएसएफ के अध्यापक हुकमचंद चौधरी ने बताया कि विद्यालय के कक्षा 6 के विद्यार्थी नेहा, उर्मिला, निकिता तथा विजय ने इस ऑटोमेटिक स्कूल बेल अनाउंसमेंट सिस्टम को तैयार किया है। इसकी लागत हजार रुपए से भी कम आई है।

पुराने माेबाइल का शानदार उपयोग

ऑटोमेटिक स्कूल बेल अनाउंसमेंट सिस्टम को तैयार करने में पुराने मोबाइल का उपयोग करते हुए सेल्फ मेड सॉफ्टवेयर भी उपयोग में लिया गया है, जो पुराने मोबाइल को एक ऑटोमेटिक मशीन में तब्दील कर देता है। इस नवाचार को राज्य के अन्य सरकारी स्कूलों के साथ भी शेयर किया जाएगा। शिक्षक चौधरी राज्य स्तरीय पुरस्कृत शिक्षक होने के साथ-साथ ई-गवर्नेंस अवार्डी भी हैं। एनसीईआरटी की ओर से भी इन्हें दो बार बेस्ट न्यू मीडिया प्रोग्राम का नेशनल अवार्ड प्राप्त हो चुका है।