अलसुबह से ही पतंगे उड़ाने का सिलसिला शुरू जो तेज धूप नहीं होने तक रहता है। फिर शाम को पांच बजे के बाद लोग अपनी छतों पर चढ़ जाते है और अंधेरा होने तक पतंगबाजी करते रहते है। इससे शाम को छतों पर रौनक होने लगती है। पतंगबाजी के चलते पतंग और मांझे का कारोबार करने वालो की चांदी हो गई है। बीकानेर में बरेली, कानपुर, अहमदाबाद और जयपुर आदि जगहों से मांझा व पतंगे बिकने के लिए आती है।