
संगीत की कोई सीमा नहीं होती: मिश्रा
बीकानेर.
संगीत किसी सीमा में नहीं बंधा है। सात समन्दर पार विदेशों मंे भी शास्त्रीय संगीत के श्रोता है। यह कहना है अन्तराष्ट्रीय ख्यातिनाम शास्त्रीय गायक पंडित भोलानाथ मिश्रा का। बुधवार रात को बीकानेर पहुंचे मिश्रा ने राजस्थान पत्रिका से बातचीत में कहा कि विदेशों में शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम होते है, तो वहां के लोग बड़े ही अनुशासित ढंग से संगीत को सुनते हैं। आज अपने देश में भी शास्त्रीय संगीत के प्रति अच्छा माहौल है। इसमें स्कूल व कॉलेज में संगीत होने का भी अहम योगदान है। एक सवाल में उन्होंने कहा कि आज रियलटी शो ने देश की युवा प्रतिभाओं को एक मंच प्रदान किया है, जो अच्छा प्रयास है। संगीत में नियमित रियाज जरूरी है। उन्होंने बताया कि संगीत सीखने की कोई उम्र नहीं होती है, वो आज भी अपने गुरुजनों से सीख रहे है।
नींव है शास्त्रीय संगीत
मिश्रा ने कहा कि संगीत कोई सा हो, उसकी नींव शास्त्रीय संगीत ही है। जो युवा अपने गुरु से इसकी तालिम हासिल करता है, उसके बाद मंच पर उतरता है, वो इसकी ऊंचाइयां छूता है। जरूरी है गुरु शिष्य परम्परा। मिश्रा ने संगीत की प्रारिम्भ शिक्षा माता चंद्रावती, पिता रखाल मिश्रा से हासिल की। इसके बाद भाई पंडित दीनानाथ मिश्रा से बारिकियां सीखी, वर्तमान में राजन-साजन मिश्रा के सान्निध्य में गायन कर रहे है। अमेरिका,लंदन,जर्मनी, युरोप,आस्ट्रेलिया सहित कई देशों मंे प्रतिभा का लोहा मनवा चुके है।
मिले है पुरस्कार
बनारस घराने के पंडित भोलानाथ मिश्रा को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, संगीत सिरोमणी, संगीत रत्न सहित कई पुरस्कार मिल चुके है। मिश्र आकाशवाणी व दूरदर्शन के टॉप गे्रड के कलाकार है। वर्तमान में कई युवा मिश्रा से संगीत की बारिकियां सीख रहे है। इनमें कुछ शिष्य अभी इंडियन ऑयडल में भागीदारी निभा रहे है।
Published on:
28 Nov 2019 06:00 am
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