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धंसी जमीन ने किया हैरान, रहस्यमय तरीके से बना तीन फीट व्यास का पचास फीट गहरा गड्ढा

संभाग मुख्यालय से करीब बीस किलोमीटर दूर एक खेत में जमीन में तीन फीट व्यास का पचास फीट गहरा गड्ढ़ा हो गया। किसान ने इसकी सूचना पुलिस को दी।

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Mysteriously make fifty feet deep pit in bikaner

बीकानेर/नाल। संभाग मुख्यालय से करीब बीस किलोमीटर दूर एक खेत में रविवार सुबह जमीन में तीन फीट व्यास का पचास फीट गहरा गड्ढ़ा हो गया। किसान ने इसकी सूचना पुलिस को दी। चने के खेत में बने इस रहस्मय गड्ढ़े को लेकर अभी तक पुख्ता तौर पर कुछ भी पता नहीं चला है। पास के खेत में भी इसी तरह जमीन धंसने के संकेत मिलने से रहस्य और ज्यादा गहरा गया है। पुलिस के साथ खान एवं भू-विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक इस गुत्थी को सुलझाने में लगे है। फिलहाल गड्ढ़े में कोई गिर नहीं जाए, इसके लिए चारों तरफ झाड़ियां लगाकर सुरक्षा उपाय किए गए है।

पुलिस के अनुसार नाल से करीब आठ किलोमीटर दूर गांव कावनी की रोही में सौकत खान के खेत में करीब तीन फीट चौड़ाई में सुरंगनुमा 50 फीट गहरा गड्ढ़ा मिला है। थाने से उपनिरीक्षक हंसराज, सहायक उपनिरीक्षक जगदीश प्रसाद व हवलदार श्रवण कुमार बिश्नोई ने मौके पर पहुंचकर सुरक्षा उपाय किए। साथ ही भू-विज्ञान विभाग बीकानेर के अधिकारियों को सूचना देकर मौके पर बुलाया।

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पुराना कुआं या गड्ढ़ा
मौके पर पहुंची खान एवं भू-विज्ञान विभाग की टीम ने निरीक्षण कर कहा कि यहां कोई पुराना कुआं अथवा पुराना गहरा खोदा हुआ गडढ़ा हो सकता है। जिसके ऊपर आई मिट्टी धंसने से यह गड्ढ़ाबना है।

इसी दौरान पास के एक अन्य खेत में भी एक जगह इसी तरह धीरे-धीरे मिट्टी धंस रही होने की सूचना मिली। भूगर्भ विभाग की टीम ने इस जगह का भी निरीक्षण किया है। मौके पर कावनी गांव के सरपंच बागाराम भी पहुंच गए। खेत मालिक ने बताया कि सुबह चने की फसल संभालने आया तब खेत में यह गड्ढ़ा दिखा। इसके चारों तरफ किसी तरह की मिट्टी नहीं डाली हुई है। बाद में रस्सी के पत्थर बांधकर गड्ढ़ेे की गहराई का अनुमान लगाया गया तो यह पचास फीट से ज्यादा पाया गया।

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500 साल से ज्यादा समय से आबाद
भू विज्ञान विभाग के अधिकारी ने बताया कि यह इलाका पांच सौ साल से भी ज्यादा पहले से आबाद है। ऐसे पहले कभी भूजल निकालने का स्रोत्र अथवा कृषि उपज या अन्य सामान सुरक्षित रखने के लिए इस तरह के गड्ढ़े बनाए जाते रहे होंगे। तब इनको ऊपर लकड़ी डालकर मिट्टी से बंद कर दिया जाता होगा। सालों बाद लकड़ी की परत कमजोर होकर गिर गई और यह गड्ढ़ा खुल गया। आस-पास के क्षेत्र में इन दिनों कोई भूगर्भ हलचल नहीं हुई है।