
दिनेश कुमार स्वामी
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में कम मतदान को लेकर दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त से लेकर जिलों के निर्वाचन अधिकारी तक जिस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं। उसका जवाब बीकानेर लोकसभा क्षेत्र के खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र में मिल सकता है। इस विधानसभा क्षेत्र के दो अलग-अलग गांवों में बीकानेर लोकसभा सीट का न्यूनतम और सर्वाधिक मतदान दर्ज हुआ है। न्यूनतम मतदान वाले फलांवाली गांव के बूथ पर जहां एक फीसदी से भी कम यानी 0.74 प्रतिशत मत पड़े, तो वहीं इसी विस क्षेत्र के बराला गांव के बूथ पर 91.12 फीसदी वोट पड़ गए।
जहां तक कम मतदान की बात है, तो आजादी के 78 साल बाद भी यहां सड़क, बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का न होना मुख्य कारण माना जा रहा है। जो इस बार विस्फोटक रूप से सामने आ गया। जबकि ज्यादा मतदान की वजह गांव का शत-प्रतिशत शिक्षित होना प्रमुख रहा। लोग सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के प्रति जागरूक रहे। शासन-प्रशासन के तालमेल से इलाके का विकास हुआ। मूलभूत सुविधाओं पर काम हुआ। नतीजा यह हुआ कि यहां लोकतंत्र में लोगों की आस्था बढ़ी। पहले विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक मतदान की होड़ रही। अब लोकसभा चुनाव में भी यही नजारा दिखा।
मतदाता और मतदान का गणित
खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र के राउमावि. फलांवाली के बूथ पर 675 वोटों में से महज पांच वोट ही पोल हुए, जबकि राउमावि बराला के बूथ पर 473 में से 431 वोट पोल हुए। कम मतदान में दूसरे नम्बर पर लूणकरनसर के धीरेरां स्टेशन का बूथ रहा। यहां पर 714 में से 34 वोट ही पड़े। मतदान का प्रतिशत 4.76 रहा।
प्रत्याशियों के बूथ पर अच्छी वोटिंग
भाजपा प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल के मतदान केन्द्र बीकानेर पूर्व विधानसभा के राउमावि किशमीदेसर में 76.60 फीसदी मतदान हुआ। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी गोविन्दराम मेघवाल के मतदान केन्द्र खाजूवाला विधानसभा के राउमावि पूगल में 64.69 प्रतिशत मतदान हुआ है।
फलांवाली के हाल…
खाजूवाला क्षेत्र के गांव फलांवाली तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है। बिजली की आपूर्ति नहीं होती। ग्रामीणों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा। परेशान ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव में मतदान न करने की ठानी और मतदान केन्द्र तक नहीं पहुंचे। प्रशासन ने यहां समझाइश कर पांच वोट तो डलवा लिए, लेकिन बुरी तरह त्रस्त ग्रामीणों ने एक तरह से मतदान का बहिष्कार ही रखा। गांव के सरपंच बजरंग सिंह के शब्दों में…आजादी के 78 साल बाद भी कच्चा रास्ता, शिक्षा, बिजली, पीने के पानी की व्यवस्था गांव तक नहीं पहुंचने से ग्रामीणों का नेताओं पर से भरोसा ही उठ गया।
विस चुनाव में भी अव्वल रहा बराला
खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र के बराला का बूथ विधानसभा चुनाव के दौरान भी सर्वाधिक मतदान कर प्रथम स्थान पर रहा। सरपंच गिरधारीलाल के मुताबिक, शत-प्रतिशत शिक्षित ग्रामीणों वाले इस गांव के लोगों में सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता है। गांव में लगातार विकास के काम हुए हैं। यही वजह है कि अब लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक मतदान किया।
जानिए…विधानसभावार सबसे अधिक व सबसे कम मतदान वाले बूथ
विस. खाजूवाला
सर्वाधिक: राउमावि. बराला में 91.12 प्रतिशत मतदान।
न्यूनतम: राउमावि फलांवाली के बूथ पर 0.74 फीसदी मतदान।
विस. कोलायत
सर्वाधिक: राउमावि हाडला रावतोलान के बूथ पर 89.06 प्रतिशत।
न्यूनतम: राउमावि अगणेऊ के बूथ पर 21.26 प्रतिशत मतदान।
विस. अनूपगढ़
सर्वाधिक: राप्रावि 14 के (14 k) बूथ पर 80.38 प्रतिशत मतदान।
न्यूनतम: राउमा. विद्यालय ढाबा में 49.55 प्रतिशत मतदान।
विस. लूणकरनसर
सर्वाधिक: राउमावि साबणिया के बूथ पर 79.84 प्रतिशत।
न्यूनतम: राउमावि धीरेरां स्टेशन के बूथ पर 4.76 प्रतिशत।
विस. बीकानेर पूर्व
सर्वाधिक: डॉ. भीमराव अम्बेडकर राज. छात्रावास के बूथ पर 79 प्रतिशत।
न्यूनतम: राउमावि कायमनगर घड़सीसर के बूथ पर 37.50 प्रतिशत।
विस. बीकानेर पश्चिम
सर्वाधिक: राउमावि. ईर्स्टन पार्ट पाबूबारी में 78.68 प्रतिशत मतदान।
न्यूनतम: राउमावि. दायां भाग करमीसर में 42.49 प्रतिशत मतदान।
विस. नोखा
सर्वाधिक: राउमावि खारा के बूथ पर 74.96 प्रतिशत मतदान।
न्यूनतम: राउमावि मईयासर में 18.94 प्रतिशत मतदान।
विस. डूंगरगढ़
सर्वाधिक: राउमावि अभ्यसिंहपुरा में 51.58 प्रतिशत मतदान।
न्यूनतम- राउमावि सिंधू के बूथ पर 26.11 प्रतिशत मतदान।
Published on:
22 Apr 2024 01:23 pm
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