
धनतेरस
धनतेरस की पूर्व संध्या पर सोमवार को सुस्त बाजार में रौनक लौट आई। बड़ी संख्या में लोग खरीदारी करने पहुंचे। दुकानदार खरीदारों के लिए कई जतन कर रहे हैं। विभिन्न उत्पादों पर विशेष छूट, प्रलोभन दिया जा रहा है। लगभग सभी उत्पादों की दुकानों पर लोगों की भीड़ बढ़ रही है।
दीपावली के मौके पर मुख्य बाजारों में स्थाई दुकानों के अलावा सड़क, फुटपाथ व गली-चौराहे पर अस्थाई दुकानों सज गई हैं। खासकर सजावटी सामान, रेडीमेड व अन्य वस्त्र, साडिय़ों, इलेक्ट्रिोनिक सामान, दुपहिया और चार पहिया वाहनों की दुकानों पर लोगों की भीड़ है। कई स्थानों पर अलग-अलग कंपनियों के दुपहिया वाहनों की अस्थाई दुकानें सजी हैं।
होगी आभूषणों की खरीदारी
धनतेरस पर मंगलवार को बर्तनों और आभूषणों की विशेष खरीदारी होगी। इसक अलावा वस्त्र, शृंगार सामग्री व घरेलू जरूरत की वस्तुओं की खरीदारी भी होगी। शहर में केईएम रोड, भैरूंजी गली, कोटगेट, दाऊजी रोड, बड़ा बाजार, मोहता चौक, स्टेशन रोड, जस्सूसर गेट, नत्थूसरगेट, रामपुरा, मुक्ता प्रसाद, मुरलीधर व्यास कॉलोनी, जयनारायण व्यास कॉलोनी, खजांची मार्केट, जैन मार्केट सहित विभिन्न बाजारों में खरीदारों की भीड़ रही।
सबसे बड़ा धन शरीर
आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वन्तरि की जयंती पर मंगलवार को मोहता रसायनशाला परिसर स्थित मोती भवन में भगवान का पूजन किया जाएगा। ऐसी मान्यता है इस दिन भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए थे। आयुर्वेद चिकित्सक प्रीति गुप्ता के अनुसार जीवन में सबसे बड़ा धन तो शरीर है। इसको स्वस्थ रखने में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति परिपूर्ण है।
आयुर्वेद पहला चिकित्सा विज्ञान है, जो रोगों के पूर्वानुमान से चिकित्सा प्रक्रिया शुरू करता है। किसी भी रोग को नाम से पहचाने की प्रक्रिया गलत है, क्योंकि समय के साथ कई जटिलताएं आती रहती हैं। इस कारण नए रोगों को पहचानने में परेशानी आती है। सही तरीका है कि वात, पित्त और कफ के संयोग को पहचाना जाए। सैल पैथोलॉजी से पैथोजेनेसिस तक इस संयोग के आधार पर नाड़ी परीक्षण कर रोग पहचानते हैं।
तो दरिद्रता होगी दूर
दीपावली से एक दिन पूर्व कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी (रूप चतुर्दशी) बुधवार को मनाई जाएगी। इसके अगले दिन गुरुवार को दीपावली पर्व मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार रूप चतुर्दशी के दिन यमराज को प्रसन्न करने के जतन किए जाते हैं। पंचागकर्ता पंडित राजेन्द्र किराड़ू के अनुसार इस दिन रात को घर से अनावश्यक वस्तुओं को बाहर फेंक देना चाहिए। इससे दारिद्रता दूर होती है। चंद्रोदय के समय स्नान करने के बाद यमराज को तर्पण देने से पापों से छुटकरा मिलता है। शास्त्रों में ऐसी मान्तया है कि इसी दिन तेल में लक्ष्मीजी और जल में गंगा का निवास होता है। इसके अलावा रूप चतुर्दशी के दिन हनुमानजी की पूजा का विधान भी बताया गया है।
Published on:
17 Oct 2017 08:13 am
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