
क्षतिग्रस्त वाहन (फोटो-पत्रिका)
बीकानेर। जिले के छतरगढ़ थाना क्षेत्र के बरजू गांव में मंगलवार देर रात वन माफिया और ग्रामीणों के बीच सीधा टकराव हो गया। ग्रामीण रात्रि गश्त के दौरान खेजड़ी के पेड़ों की कटाई रोकने निकले थे, तभी उन पर वन माफियाओं ने धारदार हथियारों और लाठियों से हमला कर दिया।
इस हमले में एक ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गया, जबकि अन्य को भी चोटें आई हैं। हमलावरों ने ग्रामीणों की गाड़ी को टक्कर मार कर क्षतिग्रस्त कर दिया।
बुधवार सुबह घटना की जानकारी मिलने पर बराला सरपंच निवास पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। बराला सरपंच प्रतिनिधि गिरधारी लाल बांधड़ा की अगुवाई में ग्रामीणों ने छतरगढ़ थाने का घेराव कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। थाना प्रभारी सुरेंद्र बारूपाल की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ, लेकिन सैकड़ों ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपते हुए कार्रवाई की मांग की।
घटना को लेकर बरजू निवासी जुल्फकार पुत्र रबनवाज ने छतरगढ़ थाने में मामला दर्ज कराया है। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि आरोपी रहमान, इमरान, इशाक, मुस्तफा सहित 22-25 लोग अवैध कटाई कर रहे थे। जुल्फकार की गाड़ी देखकर उन्होंने पीछा किया और गाड़ी को टक्कर मारी। इसके बाद लाठियों, कट्टों और धारदार हथियारों से हमला किया और जान से मारने की धमकियां दीं। हमले में रहमान नामक ग्रामीण के मुंह पर गंभीर चोट आई टांके लगे।
आरोपी मौके पर एक कैंपर गाड़ी छोड़ कर दूसरी पिकअप में फरार हो गए। पुलिस ने परिवाद के आधार पर मामला दर्ज कर जांच हवलदार योगेन्द्र को सौंपी है। फिलहाल आरोपी फरार हैं और गांव में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है।
घटना की जानकारी मिलने के बाद बीकानेर से बुधवार सुबह अनेकों वन प्रेमी घटनास्थल पर पहुंचे। हल्ला पटवारी की ओर से मौके की फर्द रिपोर्ट बनाई गई। इसमें सैकड़ों खेजड़ी काटने का मामला सामने आया है। जीवनरक्षा संस्थान और बीकानेर पर्यावरण संघर्ष समिति के दर्जनों पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से वन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने सहित राज्य वृक्ष खेजड़ी कटाई तुरंत प्रभाव से बंद करने की मांग की। वन प्रेमियों ने आगामी दिनों में छतरगढ़ व पूगल क्षेत्र में खेजड़ी कि अवैध कटाई को लेकर बड़ा आंदोलन खड़ा करने की चेतावनी जिला प्रशासन सहित पुलिस प्रशासन को दी।
ग्रामीणों का कहना है कि सोलर प्लांट की आड़ में खेजड़ी और हरे पेड़ों की कटाई पिछले दो वर्षों से जारी है, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है। अब जब सामान्य ग्रामीण अपनी जिम्मेदारी निभाने निकले, तो उन्हें ही हिंसा का शिकार होना पड़ा।
Updated on:
31 Jul 2025 04:33 pm
Published on:
31 Jul 2025 03:57 pm
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