
चिकित्सकों तथा परिवारजन के साथ मासूम अर्जुन जांगिड़।
A Story of Humanity : अभी भी समाज में मानवता मरी नहीं है। इसका एक बड़ा उदाहरण आपकी आंखें खोल देगा। 24 माह के अर्जुन जांगिड़ दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर अट्रोपी से जूझ रहा था। शनिवार को अमेरिका से मंगाए गए 17.50 करोड़ रुपए का इंजेक्शन आखिरकार उसे सफलतापूर्वक लगा दिया गया। इस दुर्लभ बीमारी में मरीज के 24 माह आयु तक ही ये इंजेक्शन लगाने पर ही जान बचाई जा सकती है। शिक्षा विभाग के शिक्षकों तथा भामाशाहों के सहयोग से अब अर्जुन को एक नया जीवन मिलने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं।
मासूम अर्जुन जांगिड़ की इस दुर्लभ बीमारी की जानकारी से माता पिता बेखबर थे। जब अभिभावकों को इसकी जानकारी हुई तो उनके होश फाख्ता हो गए। उसे ठीक करने के लिए 17.50 करोड़ का इंजेक्शन लगाने की जरूरत थी। वो भी 24 माह की आयु के अंदर तक। उस समय बच्चा 22 माह का हो चुका था। दो माह के अंदर इतनी बड़ी राशि की व्यवस्था कर पाना शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला सहायक के पद पर कार्यरत उसकी माता पूनम जांगिड़ के लिए नामुमकिन जैसा था। जब विभाग को जानकारी हुई, तो पूरे विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस मासूम की जान बचाने को आगे आ गए।
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माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने यह राशि जुटाने के लिए विभाग स्तर पर सभी कर्मचारियों से अपने वेतन से सहयोग देने की अपील की, तो कई भामाशाहों के साथ शिक्षक संगठन भी आगे आए। परिणाम यह हुआ कि देखते ही देखते 17.50 करोड़ की राशि निर्धारित अवधि से पहले ही इकट्ठी कर ली गई। अमेरिका से इस इंजेक्शन को मंगाने का आर्डर दे दिया गया।
14 सितंबर का दिन मासूम अर्जुन और उसके परिवार के लिए वरदान साबित हुआ, जब चिकित्सकों ने 24 माह के अर्जुन को यह इंजेक्शन लगाया। ऐसी ही दुर्लभ बीमारी से ग्रसित पुलिस विभाग में कार्यरत एक एएसआई के पुत्र के लिए भी पुलिस विभाग के कर्मचारियों ने ऐसे ही प्रयास किए थे। इंजेक्शन लगने के बाद अर्जुन के माता पिता इतने खुश हैं कि वे खुद नहीं बोल पा रहे। कृतज्ञता के भाव के साथ खुशी से छलकती उनकी आंखें बोलती हैं। द्वारिकापुरी, जयपुर के उस घर में भी आज खुशियों के दीपक जल रहे हैं, जहां यह बच्चा रहता है।
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Updated on:
15 Sept 2024 12:38 pm
Published on:
15 Sept 2024 12:10 pm
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