Bikaner News : बीकानेर. राज्य में पिछली सरकार के समय शुरू किए गए महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूलों का खुमार अब लोगों के मन से उतरने लगा है। स्थिति यह हो गई है कि इन स्कूलों में रिक्त सीटों को भरने के लिए विभाग को पहले आओ पहले पाओ की योजना चलानी पड़ी है, ताकि रिक्त सीटों को भरा जा सके। वर्तमान में राज्य में कुल 3 हजार 737 राजकीय महात्मा गांधी अंग्रेजी विद्यालय हैं। वर्ष 2019 में पहले चरण में हर जिला मुख्यालय पर एक महात्मा गांधी स्कूल खोलने की घोषणा हुई। सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की घोषणा से अभिभावकों में इन स्कूलों में प्रवेश के लिए होड़ लग गई। परिणामस्वरूप सरकार ने हर ब्लॉक में यह स्कूल खोल दिए।
गड़बड़ यहां से
इन स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षण कराने के लिए तत्कालीन सरकार ने हिंदी माध्यम के स्कूलों से साक्षात्कार से शिक्षकों को लेना शुरू कर दिया। इसमें अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा के लिए शिक्षकों और अंग्रेजी संप्रेषण में प्रवीण शिक्षकों को लगाने की प्राथमिकता निर्धारित की गई। हालांकि, साक्षात्कारों में ऐसे शिक्षकों का भी सिफारिशों के आधार पर चयन कर लिया गया, जो न तो अंग्रेजी संप्रेषण में दक्ष थे और न संभाषण में प्रवीण। दूसरी गड़बड़ी नई सरकार आने के बाद बयानों के जरिए आए संकेतों ने पैदा की। जिसके बाद अभिभावकों में इन अंग्रेजी स्कूलों के भविष्य को लेकर संशय पैदा हुआ।
नतीजा यह
नतीजा यह हुआ कि धीरे धीरे इन स्कूलों से लोगों का मोह भंग होने लगा। वर्तमान में हालात यह हैं कि कई स्कूलों में हजारों सीटें रिक्त रह गई हैं। अब विभाग ने इन रिक्त सीटों को भरने के लिए पहली से आठवीं तक वर्ष पर्यन्त प्रवेश देने तथा नवीं से बारहवीं तक हिंदी माध्यम स्कूलों के लिए निर्धारित प्रवेश की अंतिम तिथि तक प्रवेश देने की छूट दे दी गई है।
धड़ाधड़ खोले स्कूल
तत्कालीन सरकार ने धड़ाधड़ अंग्रेजी माध्यम के स्कूल तो खोल दिए, लेकिन इनमें अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने वाले योग्य शिक्षकों का कोई अलग कैडर बनाकर नियुक्तियां नहीं कीं, जिससे इन स्कूलों का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका। कई स्कूलों से तो अभिभावकों ने अपने बच्चों को बीच सत्र में ही निकाल कर दूसरे निजी स्कूलों में प्रवेश दिला दिया।
प्रशिक्षण भी नहीं दिया
जानकारी के मुताबिक, हुआ यूं कि इच्छित स्थान पाने के लिए सिफारिशी शिक्षकों को इन स्कूल में लगा दिया गया। सरकार ने ऐसे शिक्षकों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षण कराने के लिए पिछले पांच सालों में कोई प्रशिक्षण भी नहीं दिया। कई मामलों में तो यह बैकडोर प्रतिनियुक्ति पाने का तरीका ज्यादा साबित हुआ।
अलग कैडर बनाना होगा सरकार को
अगर महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाना है, तो अलग कैडर बना कर राजस्थान लोक सेवा आयोग और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड योग्य के जरिए शिक्षकों की भर्ती करनी होगी। ऐसे शिक्षक, जो अंग्रेजी माध्यम के हों। उनके तबादले सिर्फ अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में ही हों।-ओम प्रकाश सारस्वत, पूर्व संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान
Published on:
15 Jul 2024 07:13 pm