
राजस्थान में सांपों के काटने से मौत (फोटो-फ्रीपिक)
Snake Bite Death: बीकानेर। मानसून आते ही जमीन के अंदर से मौत बाहर निकलने लगती है। सांप-बिच्छु जैसे जहरीले जीव बिलों में पानी भरने और तापमान में बदलाव के कारण बाहर आ जाते हैं। ऐसे में बारिश के दौरान सर्पदंश के मामले अचानक बढ़ जाते हैं। हर साल सांपों के काटने से देशभर में हजारों लोगों की मौत हो जाती है। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे देश में सांप के काटने से करीब 35-40 हजार लोगों की मौत हो जाती है, वहीं राजस्थान में भी सांप काटने से हजारों की संख्या में मौतें होती हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल भारत में 30-40 लाख लोगों को सांप काटते हैं। इनमें से करीब 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है। अधिकतर केस गांव-ढाणियों में सामने आते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 90 फीसदी मौतें सिर्फ चार तरह के सांपों के काटने से होती हैं, इनमें कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर शामिल हैं।
भारत में मौजूद 300 प्रजातियों में से 25 फीसदी सांप ही विषैले हैं, लेकिन कई बार सांप के काटने के बाद लोग इतना डर जाते हैं कि उनकी हार्ट-अटैक से मौत हो जाती है।
राजस्थान में सबसे सॉ-स्केल्ड वाइपर, कोबरा और करैत आमतौर पर पाए जाते हैं। वहीं रेतीली जमीनों में सींग वाले वाइपर सांप भी पाए जाते हैं, लेकिन आमतौर पर इनकी चपेट में इंसान नहीं आते हैं। बीकानेर संभाग में हर साल 15-20 लोग सांप के काटने से जान गंवाते हैं, जबकि पूरे प्रदेश में करीब 4 से 5 हजार लोगों की सांप काटने से मौत होती है।
सावन के महीने में कई बार तीर्थयात्री भी सर्पदंश के शिकार बन जाते हैं। खुले में विश्राम करने वाले इन श्रद्धालुओं के लिए सांपों से खतरा और अधिक बढ़ जाता है। साल 2019 में छतरगढ़ के पास तीन श्रद्धालुओं की मौत सर्पदंश से हो गई थी। वे रात को रोही में रुके थे और सुबह उठे ही नहीं। इनकी पहचान राजूराम, चुन्नीलाल व उसकी पत्नी राधा देवी के रूप में हुई थी।
विशेषज्ञ डॉ. पीडी तंवर (नोडल ऑफिसर, सीजनल डिजीज) के मुताबिक सांपों में न्यूरोटॉक्सिक व हीमोटॉक्सिक नामक दो प्रकार का जहर होता है। न्यूरोटॉक्सिक जहर व्यक्ति के मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इससे चलना, बोलना, सांस लेना और अन्य गतिविधियां बाधित हो जाती हैं। हीमोटॉक्सिक जहर ब्लड और हार्ट से जुड़े शरीर के क्रियाकलापों को प्रभावित करता है। इसमें पीड़ित के शरीर से खून बहता रहता है। कोबरा और करैत जैसे सांपों में न्यूरोटॉक्सिक जहर ही होता है।
डॉ. सुरेन्द्र कुमार वर्मा (अधीक्षक, पीबीएम अस्पताल) कहते हैं कि सर्पदंश का इलाज जिले की सभी सीएचसी, पीएचसी और पीबीएम में मौजूद है, लेकिन इसके लिए समय पर एंटी स्नेक वेनम का डोज लगना जरूरी है। डॉ सुरेन्द्र का कहना है कि पर्याप्त मात्रा में एंटी वेनम डोज उपलब्ध होने के बावजूद लोग समय पर हॉस्पिटल नहीं आते, ऐसी स्थिति में कई लोगों की मौत हो जाती है।
घर के आसपास मलबा, कबाड़, कूड़ा न रखें।
दरवाजों के नीचे बोरी या पायदान लगाएं।
खिड़की-दरवाजों में जाली लगवाएं।
खेत में लंबे जूते, दस्ताने पहनें।
नालियों और बिलों के मुंह बंद रखें।
गमले जमीन पर न रखें। स्टैंड का उपयोग करें।
Updated on:
24 Jul 2025 10:17 pm
Published on:
24 Jul 2025 10:16 pm
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