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त्योहारी सीजन में बोनस के पैसे भेजने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह सक्रिय…

Bilaspur cyber crime news : आपकी जरा सी चूक से आपकी मेहनत की कमाई स्वाहा हो सकती है।

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बिलासपुर. Bilaspur cyber crime news : डिजिटल पेमेंट के बढ़ते पहुंच के साथ साथ डिजिटल फ्रॉड के भी मामले बढ़े हैं। फॉरेन से आए गिफ्ट्स से लेकर ऑनलाइन नौकरी दिलाने के नाम पर ठग लोगों को साइबर ठगी का शिकार बना रहे हंै। यही नहीं ठगों का गिरोह मैट्रोमोनियल वेबसाइट से लेकर जॉब सर्च प्लेटफार्म तक एक्टिव है। आपकी जरा सी चूक से आपकी मेहनत की कमाई स्वाहा हो सकती है।

साइबर ठगी के मामलों में एक नया पैटर्न देखने को मिल रहा है । साइबर ठग जहां लोगों को कॉल कर उनके परिजनों के नामों का सहारा लेकर ठगी कर रहे हैं, वहीं त्योहारी सीजन में बोनस और एडवांस पेमेंट भेजने के नाम पर ठगी की घटना को अंजाम दे रहे हैं। ठगों के द्वारा आपके फलाना रिश्तेदार के द्वारा आपके खाते में पैसे जमा करने के लिए कहा गया है कि बात कहते हैं जिसके बाद वह सामने वाले के यूपीआई आईडी में फर्जी टोकन भेज कर पूरा अकाउंट खाली कर दे रहे हैं। हाल ही में पत्रिका के सामने इस तरह के दो मामले आए हैं। वहीं बिलासपुर पुलिस भी इस तरह के मामलों को लेकर अज्ञात ठगों के खिलाफ अपराध दर्ज हो चुकी है।


ऐसे मामलों में स्वयं रहें सतर्क
ऐसे मामले से सावधान रहना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पुलिस साइबर ठगी के मामलों में भी मामूली चार सौ बीसी की धारा लगाकर अपराध दर्ज कर लेती है। पुलिस द्वारा किसी भी तरह आईटी एक्ट नहीं जोड़ा जाता है। यही अगर रेंज के एक मात्र साइबर थाने की बात की जाए तो अब तक साइबर ठगी के केवल सात ही मामले दर्ज हुए हैं। जिसमें से अब तक पुलिस के हाथों कोई भी कामयाबी नहीं लगी है। वहीं बीते कुछ समय पहले साइबर थाना प्रभारी का ट्रांसफर दूसरे जिले हो गया है जिसके बाद से पहले से ही दर्ज सात मामलों की जांच रुकी हुई है। पुलिस कहना है कि नए प्रभारी की नियुक्ति के बाद पुलिस टीम गठित कर जांच में जुटेगी।

शहरवासी अखिलेश तिवारी ने बताया कि रविवार की दोपहर उन्हें एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले व्यक्ति ने उनसे कहा कि उनके पिता जी ने उसके खाते में 10 हजार रुपए जमा करने के लिए कहा है। ठगों ने उनकी यूपीआई आईडी में एक लिंक भेजा, जिसमें पैसे जमा होने के बजाए उल्टा उन्हें पैसे जमा करने को कहा जा रहा था, इस पर अखिलेश ने सतर्कता दिखाते हुए पेमेंट रिक्वेस्ट कैंसिल कर दिया।

विवेक मिश्रा ने बताया कि एक फोन कॉल आया, जिसमें कहा गया कि बोनस रुपए अकाउंट में डाला जा रहा है। इसके बाद उनके यूपीआई अकाउंट में एक लिंक भेजा गया, जिसमें उन्हें रुपए देने के बदले उनसे ही रुपए की मांग की जाने लगी। इसके बाद विवेक ने बोनस की बात को कन्फर्म करने के लिए सहकर्मियों से इसकी जानकारी ली। उन्हें पता चला कि जिस संस्थान में वो काम कर रहे हैं वहां बोनस का कोई प्रावधान ही नहीं है।

ञ्चटापिक एक्सपर्ट

&स्कैमर्स द्वारा उपयोग की जा रही एक और पैटर्न क्यूआर कोड के माध्यम से भेजी जाती है। घोटालेबाज अपने टार्गेट को बताता है कि पैसा क्यूआर कोड का उपयोग करके भेजा जाएगा। जब पीडि़त द्वारा कोड स्कैन किया जाता है तो उसे यूपीआई पिन दर्ज करने के लिए कहा जाता है। यदि पिन साझा किया जाता है तो पैसा जमा होने के बजाय, उपयोगकर्ता के खाते से काट लिया जाता है। इससे बचाव के लिए यूपीआई उपभोग्ताओं को अपना यूपीआई पिन बदलते रहना चाहिए।
गोपिका बघेल, साइबर फोरेंसिक एक्सपर्ट