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सजा के आधार पर पदोन्नति से वंचित करना अनुचित, हाईकोर्ट ने डीजीपी के आदेश को मनमाना पाकर किया निरस्त

CG High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा 8 अगस्त 2022 को जारी पदोन्नति निरस्तीकरण आदेश को अवैध और मनमाना करार देते हुए रद्द कर दिया है।

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जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर (फोटो-पत्रिका)

जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर (फोटो-पत्रिका)

CG High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा 8 अगस्त 2022 को जारी पदोन्नति निरस्तीकरण आदेश को अवैध और मनमाना करार देते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि बाद में दी गई सजा के आधार पर पदोन्नति से वंचित करना मनमाना निर्णय है।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उप निरीक्षक के पद पर प्रमोशन देने और सभी परिणामी लाभ तीन माह के भीतर प्रदान करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि पदोन्नति पर प्रमोशन समिति (डीपीसी) की बैठक के दिन के स्टेटस के आधार पर ही विचार होना चाहिए। बाद की सजा को पूर्व से प्रभावी नहीं माना जा सकता। याचिकाकर्ता ने डीजीपी के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

यह है मामला

याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार साहू सहायक उप निरीक्षक के पद पर थाना सोनक्यारी, जिला जशपुर में पदस्थ थे। पुलिस मुख्यालय द्वारा 21 मई 2021 को पदोन्नति की पात्रता सूची प्रकाशित की गई थी। इसमें याचिकाकर्ता का नाम क्रमांक 138 में शामिल था। इसके कुछ समय बाद 18 नवम्बर 2021 को याचिकाकर्ता पर कर्तव्यों में लापरवाही के आरोप में वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने का लघु दंड दिया गया। इसी आधार पर पुलिस महानिदेशक ने याचिकाकर्ता की पदोन्नति निरस्त कर दी थी।