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CG High Court: बाघ की मौत पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, 10 दिन में जवाब देने के दिए निर्देश

CG High Court: वन एवं पर्यावरण संरक्षण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को 10 दिन के अंदर व्यक्तिगत शपथपत्र पर जवाब देने को कहा है कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी।

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CG High Court

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CG High Court: गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया में बाघ की मौत पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए वन विभाग के उच्चाधिकरियों से जवाब-तलब किया है। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा कि वन्य जीव नष्ट हो रहे हैं, पर्यावरण भी नष्ट हो रहे हैं, अब बचा क्या। वन्य जीव नहीं बचा पाएंगे, जंगल नहीं बचेंगे तो कैसे चलेगा? कोर्ट ने मामले में वन एवं पर्यावरण संरक्षण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को 10 दिन के अंदर व्यक्तिगत शपथपत्र पर जवाब देने को कहा है कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी।

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कोरिया में बाघ के मौत पर स्वतः संज्ञान लेकर हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने वन्यजीवों की मौत पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने वन्यजीवों की मौत और पर्यावरण की अनदेखी पर सख्त नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि स्थिति को देखकर लग रहा है कि बदले की भावना से बाघ को मारा गया है। कोर्ट ने निर्देशित किया कि बाघों की मौत के कारणों की निष्पक्ष जांच की जाए और इस मामले में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

यहां बाघ हैं, तो संरक्षण नहीं कर पा रहे

कोर्ट ने कहा कि यह दूसरी मौत है। टाइगर हिंदुस्तान में जल्दी मिलता नहीं, यहां हैं तो संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं। महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत में कहा कि मामले में कड़ी कार्रवाई की जा रही है। बाघ की मौत के बाद वन अफसर भी हरकत में आ गए हैं। वन विभाग के अफसर घटनास्थल पहुंचकर दो किलोमीटर के दायरे में रह रहे लोगों से पूछताछ करने में जुटे हैं।

यह है मामला

8 नवंबर 2024 को सरगुजा के कोरिया वन मंडल के पास खनखोपड़ नाला के किनारे बाघ का शव मिला। जिसे वन विभाग ने आधिकारिक तौर पर जहर के कारण मौत बताया है। वन विभाग के अनुसार, बाघ की मौत का कारण निर्धारित करने के लिए शव का पोस्टमार्टम किया गया, लेकिन अभी तक विस्तृत रिपोर्ट नहीं आई है। मामले में कोर्ट ने कहा कि यह घटना वन्यजीवों के लिए उपयुक्त सुरक्षा प्रबंधों की कमी को दर्शाती है। वन विभाग के अधिकारियों द्वारा समय पर निगरानी और सुरक्षा उपायों की अनुपस्थिति से इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं।