
निर्भया कांड से भी ज्यादा बर्बर था मासूम की हत्या और बलात्कार का ये मामला, अब सजा-ए-मौत पर हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
बिलासपुर. जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस गौैतम चौराडिया की युगलपीठ (Bilaspur high court)ने 5 साल की मूकबधिर बच्ची से दुष्कर्म (Rape with minor)कर हत्या(child murder) मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। दुर्ग कोर्ट से हुई मौत की सजा(Death sentence) के खिलाफ रेफरेंस व पुष्टि को लेकर याचिका दायर (Petition in high court)की गई थी। इस मामले में आरोपी की मां सहित एक अन्य को साक्ष्य मिटाने के आरोप में 5 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। प्रदेश में पाक्सो एक्ट लागू होने के बाद स्पेशल कोर्ट द्वारा फांसी की सजा दिए जाने का ये पहला मामला है।
दुर्ग के शिवाजी नगर खुर्सीपार निवासी राम सोना ने 25 जनवरी 2015 को 5 वर्षीय मासूम को टॉफी देने का लालच देकर अपने घर ले गया। घर ले जाकर उसने मासूम के साथ न सिर्फ दुष्कर्म किया बल्कि दुर्दांदता की सभी हदें लांघते हुए उसके सिर पर पत्थक पटककर हत्या कर दी।
हत्या के बाद उसने शव को बोरी में भरकर रेलवे ट्रैक के पास नाले में फेंक दिया गया। पुलिस ने जब शव बरामद किया तो मासूम के शरीर पर चोट के कई निशान पाए गए। पुलिस ने मामले की जांच (Bilaspur high court)के बाद आरोपी की मां कुंती बाई व दोस्त अमृत सिंह पर आरोपी की मदद करने की धारा लगाते हुए गिरफ्तार किया। आरोपी सोना को रायगढ़ से गिरफ्तार किया गया।
स्पेशल कोर्ट ने घटना को माना रेयरेस्ट आफ द रेयर, दी मौत की सजा
स्पेशल जज शुभ्रा पचौरी की कोर्ट ने पास्को एक्ट के तहत 26 अगस्त 2018 को अपना फैसला सुनाते हुए इस घटना को रेयरेस्ट आफ द रेयर मानते हुए आरोपी राम सोना को मौत की सजा (Bilaspur high court) सुनाई थी। साथ ही इस मामले में आरोपी के मददगार अमृत सिंह व मां कुंती बाई को 5-5 वर्ष की सजा सुनाई गई।
Published on:
31 Jul 2019 02:48 pm
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